अगस्त 2020

-2018 में Kannauj के ASP ने की थी 16 पुलिस कर्मियों की जांच

-ASP ने तत्तकालीन IG Range (Kanpur) को सौंपी थी Report

-Report को आधार बनाकर ED के अफसर जल्द करेंगे पूछताछ

Yogesh Tripathi

 

Gangster Vikas Dubey और उसके खजांची Jai Bajpai के हमदर्दरहे 16 पुलिस कर्मी जल्द ही प्रवर्तन निदेशालय (ED) के रडार पर आ सकते हैं। इसमें UP Police के तीन बड़े अफसर भी शामिल हैं। बड़े सूत्रों की मानें तो Kanpur में तैनाती के दौरान इन पुलिस कर्मियों ने करोड़ों रुपए की लूटखसोट की थी। कई ने तो बेनामी संपत्तियां तक खरीद लीं। इन सभी पुलिस कर्मियों के सीधे कनेक्शन Vikas Dubey और उसके खजांची Jai Bajpai से रहे हैं। ED ने दो साल पहले Kannauj के ASP रहे केसी गोस्वामी जांच रिपोर्ट को आधार बनाया है। देर-सबेर ये पुलिस कर्मी ED के यक्ष प्रश्नों का जवाब देने के लिए बैठे दिखाई दे सकते हैं।

सूत्रों की मानें तो प्रवर्तन निदेशालय (ED) की तरफ से एक पत्र Range के बड़े अफसर को लिखा गया था। इसके बाद ED की एक टीम ने अफसर से मुलाकात कर तमाम जानकारियां भी जुटाई। कुछ महत्वपूर्ण कागजात भी ED को मुहैया कराए गए। ED अफसरों की मानें तो 2018 में कन्नौज के ASP के.सी गोस्वामी ने पुलिस विभाग के तीन बड़े अफसरों समेत 16 पुलिस कर्मियों की जांच की थी। सभी पर आरोप था कि Vikas Dubey, उसके खजांची Jai Bajpai और गिरोह के सदस्यों के खिलाफ यदि कोई भी शिकायत करता था तो ये पुलिस कर्मी कोई कार्रवाई करने के बजाय शिकायतकर्ताओं के खिलाफ ही मुकदमा पंजीकृत कर देते थे। 

 

केसी गोस्वामी ने पूरे प्रकरण की लंबी जांच की। मामला सही पाए जाने पर Report तत्कालीन IG Range को सौंप दी। जांच की जद में आए सभी पुलिस कर्मचारी नजीराबाद, बजरिया, एलआइयू और पासपोर्ट विभाग में काम करने वाले थे। एक एसपी, एक एडीशनल एसपी और एक क्षेत्राधिकारी का भी नाम शामिल रहा।

सूत्रों की मानें तो इन पुलिस कर्मियों ने Vikas Dubey और Jai Bajpai की मिलीभगत से करोड़ों की अकूत कमाई कर तमाम बेनामी संपत्तियां भी बना ली। सभी ने समय-समय पर विकास दुबे, जय बाजपेयी का वीजा, पासपोर्ट बनवाने में तो मदद की ही साथ ही कई पुलिस कर्मियों ने काले कारोबार में भी अपरोक्ष तरीके से गिरोह का साथ दिया। 

तो क्या IG (Range) को गुमराह कर रहे हैं चौकी इंचार्ज

2/3 जुलाई 2020 की रात्रि चौबेपुर के बिकरू गांव में सीओ समेत 8 पुलिस कर्मियों की हत्या के बाद शासन और प्रशासन की जमकर थू-थू हुई। Gangster Vikas Dubey के करीबी कई पुलिस वालों के चेहरे बेनकाब हुए। इन पुलिस कर्मियों के विकास दुबे और जय बाजपेयी से सीधे कनेक्शन अब जगजाहिर हो चुके हैं। लेकिन पुलिस विभाग ने अभी तक सीख नहीं ली है। नजीराबाद थाने के अशोक नगर चौकी इंचार्ज ने कुछ दिन पहले जो रिपोर्ट अफसरों को दी है उसमें इस बात का उल्लेख किया कि विकास दुबे के खजांची जय बाजपेयी के मकान में कोई पुलिस कर्मी नहीं रहता है। जब कि हकीकत कुछ और थी। चौकी इंचार्ज ने शिकायतकर्ता सौरभ भदौरिया और उनके बुजुर्ग पिता को ही अपराधी मानसिकता का करार देते हुए दोनों के खिलाफ उल्टी रिपोर्ट भेज दी। सौरभ भदौरिया के पिता की उम्र करीब 75 वर्ष है। सूत्रों की मानें तो सौरभ भदौरिया की शिकायत के बाद आइजी ने मामले को संज्ञान में लिया। गोपनीय जांच में शहर के तीन दरोगा जय बाजपेयी के मकान में किराए पर रहते हुए पाए गए। इसके बाद आइजी ने तीनों को तत्काल सस्पेंड कर दिया। अब सवाल ये उठता है कि क्या आइजी कानपुर रेंज फर्जी रिपोर्ट देने वाले चौकी इंचार्ज के खिलाफ भी कोई कार्रवाई करेंगे ? सौरभ भदौरिया का आरोप है कि चौकी इंचार्ज तमाम तरह से उनका न सिर्फ उत्पीड़न कर रहे हैं बल्कि धमकी भी दे रहे हैं। उल्लेखनीय है कि सौरभ भदौरिया ने विकास दुबे और उसके खजांची जय बाजपेयी के गिरोह की परतें खोलने वाले इकलौते व्यक्ति हैं। शासन की तरफ से अभी तक उनको कोई सुरक्षा भी नहीं मुहैया कराई गई है।

IG (Range) ने तीन दरोगाओं को किया सस्पेंड

लंबे समय से Vikas Dubey के खजांची Jai Bajpai के घर में किराए पर रह रहे तीन दरोगाओं को IG (Range) मोहित अग्रवाल ने गुरुवार रात को सस्पेंड कर दिया। IG (Range) की तरफ से कराई गई छानबीन में तीनों दरोगा जय बाजपेयी के मकान में रहते हुए मिले। सीओ नजीराबाद गीतांजलि ने तत्काल मकान में छापा मारा। कर्नलगंज थाने में तैनात सब इंस्पेक्टर राजकुमार, अनवरगंज में तैनात इंस्पेक्टर उस्मान अली, रायपुरवा में तैनात सब इंस्पेक्टर खालिद यहां पर लंबे समय से रह रहे थे। सीओ की सूचना पर आइजी ने तत्काल तीनों दरोगाओं को सस्पेंड कर दिया। आइजी का कहना है कि जय बाजपेयी पर गैंगस्टर एक्ट की कार्रवाई हो चुकी है। मकान भी अनाधिकृत बताया जा रहा है। केडीए छानबीन कर रही है। ऐसे में यहां पर रहकर तीनों दरोगाओं ने पुलिस महकमें की छवि को धूमिल किया है। जिसकी वजह से कार्रवाई की गई है। तीनों दरोगाओं के खिलाफ जल्द ही विभागीय कार्रवाई की जाएगी।

 

 

RTI (Activist) & Advocate सौरभ भदौरिया ने दर्ज कराए बयान

Jai Bajpai और उसके गिरोह के बारे में सौंपा कच्चा चिट्ठा

Kanpur के Ex.SSP अनंत देव तिवारी भी दर्ज कराया अपना बयान

 

Yogesh Tripathi

 

CO समेत 8 पुलिस कर्मियों की हत्या के बाद Encounter में मारे गए Vikas Dubey के गुर्गे गैंगस्टर Jai Bajpai के खिलाफ Kanpur के RTI Activist & Advocate सौरभ भदौरिया ने अपने बयान SIT के सामने पेश होकर दर्ज कराए। सौरभ भदौरिया ने SIT (Team) को कई चौंकाने वाली जानाकरियां दी हैं। सौरभ का आरोप है कि पुलिस ने अभी तक जयकांत बाजपेयी के गिरोह पर शिकंजा नहीं कसा है। एक भाई पर पुलिस ने गैंगस्टर नहीं लगाया है। इससे पहले कानपुर के पूर्व एसएसपी अनंत देव तिवारी ने भी अपने बयान एसआइटी टीम के सामने दर्ज कराए।

सौरभ भदौरिया ने redeyestimes (News Portal) से बातचीत में बताया कि सोमवार को एसआइटी टीम के सदस्य जे.रविंदर गौड़, एस भूसरेड्डी के सामने पेश होकर अपने बयान दर्ज कराए। सौरभ ने एसआइटी टीम को बताया कि जयकांत बाजपेयी, उसके भाई रंजय बाजपेयी, पवन गुप्ता, मनुज गोयल समेत करीब एक दर्जन गुर्गों ने मिलकर 107/263 रेलवे लाइन की करीब 10 संपत्तियों पर पहले कब्जा किया और बाद में उसकी बिक्री शुरु की।

सौरभ ने SIT को बताया कि इसमें दो संपत्तियों की बिक्री हो चुकी है। यह जानकारी मिलते ही एसआइटी ने अपना माथा पकड़ लिया। वजह बिल्कुल साफ है, बताया जा रहा है कि अभी कुछ दिन पहले सरकारी भूमि कब्जे के मामले में जय बाजपेयी को शासन की तरफ से क्लीन चिट मिल चुकी है।

सौरभ भदौरिया ने एसआइटी टीम को बताया कि पूर्व अपर पुलिस महानिदेशक (एडीजी, कानपुर) की तरफ से लिखित आदेश के बाद भी नजीराबाद, बजरिया थानों के तत्कालीन थानेदारों ने कोई कार्रवाई नहीं की थी। बजूका रेस्टोरेंट मामले में भी स्वरूप नगर पुलिस ने बड़ा खेल किया था। तब गिरोह के गुर्गों ने विकलांगों को बेरहमी से मारा था। इतना ही नहीं गिरोह ने सत्ता की हनक के बल पर बाद में सौरभ भदौरिया और उनके बुजुर्ग पिता (करीब 80 वर्ष) के खिलाफ भी मुकदमें दर्ज करवा दिए थे।

सौरभ ने बताया कि उन्होंने एसआइटी टीम को करीब 1764 पन्नों वाली रजिस्ट्रियों की प्रतिलिपि सौंपी है। जबकि कानपुर जिला प्रशासन की तरफ से सिर्फ तीन पन्नों वाली रजिस्ट्री ही दी गई है। जिससे साफ है कि इतने बड़े कांड के बाद विकास दुबे के गुर्गों को पुलिस और प्रशासन मिलकर बचाने में जुटा हुआ है। पर्दे के पीछे से भूमिका सत्ताधारी दल के कई सफेदपोश नेता कर रहे हैं।

सौरभ भदौरिया ने एसआइटी टीम को बताया कि जयकांत बाजपेयी के जेल जाने के बाद भी उसके मकान में बजरिया, नजीराबाद और स्वरूप नगर, मूलगंज थाने के कई पुलिस कर्मी किराए पर रह रहे हैं। यही वजह है कि जेल जाने के बाद भी जय कांत बाजपेयी के परिजनों का हौसला बुलंद हैं। SIT (Team) ने हैरानी जताते हुए पूछा कि इस मामले में अभी तक आइजी रेंज की तरफ से क्या कोई कार्रवाई हुई है ? इस पर सौरभ भदौरिया ने जवाब नकारात्मक देते हुए कहा कि सभी पुलिस कर्मी वर्तमान समय में भी वहीं पर रह रहे हैं।

एसआइटी ने सौरभ भदौरिया से पूछा कि क्या शासन-प्रशासन से आपको अभी तक कोई सुरक्षा प्राप्त हुई है। सौरभ भदौरिया ने बताया कि फिलहाल अभी तक वह बगैर सुरक्षा के ही हैं। पुरानी सुरक्षा भी हटाई जा चुकी है। जबकि यह गिरोह बेहद खतरनाक और क्रूर है। लोकल चौकी इंचार्ज मददगार बना है। तमाम शिकायतों के बाद भी कार्रवाई नहीं हुई है। आइजी से भी सुरक्षा के बाबत मिलने पहुंचा लेकिन स्टाफ ने मिलने ही नहीं दिया। सौरभ ने कुछ साल पहले अपर पुलिस अधीक्षक केसी गोस्वामी की जांच का हवाला देते हुए बताया कि 16 पुलिस कर्मियों (जो इस गैंग को अभी तक संरक्षण देते हैं) के खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। बल्कि मौखिक रूप से उनको डांटने के बाद अफसरों ने कई को चार्ज भी दे दिया है।

 

मनुज गोयल उर्फ मनु करता था सरकारी ठेकेदारी

सौरभ भदौरिया ने एसआइटी टीम को बताया कि विकास दुबे से मिलने वाली करोड़ों रुपए की काली कमाई को जयकांत बाजपेयी अपने बेहद करीबी मनुज गोयल उर्फ मनु को देता था। मनु इस रकम को भाइयों और सहयोगियों से मिलकर बड़े-बड़े सरकारी ठेके लेता था। इसमें बड़ी पत्ती जयकांत और विकास दुबे को पहुंचती थी। हाल में जो जांच शासन ने भेजी है। उसमें इन सब बातों का जिक्र ही नहीं है।

 

 

-Vikas Dubey के करीब दर्जन भर "हमदर्द" बन बैठे हैं करोड़पति 

-RTI (Activist) & Advocate  सौरभ भदौरिया ने की शिकायत

Desk Team (Report)

CO Devendra Mishra समेत 8 पुलिस कर्मियों की हत्या के बाद Encounter में मारे गए गैंगस्टर Vikas Dubey के काली कमाई “साम्राज्य” Kanpur और उसके आसपास के जिलों में “अमरबेल” की तरह  फैला है। Vikas Dubey के खजांची रहे Jai Bajpai के करीब दर्जन भर करीबी दोस्त देखते ही देखते कुछ वर्षों में करोड़पति बन बैठे। सभी के पास न सिर्फ लग्जरी गाड़ियां हैं बल्कि करोड़ों रुपए के कीमत की बेनामी संपति भी है। 
अधिवक्ता और आरटीआइ एक्टीविस्ट सौरभ भदौरिया ने आयकर विभाग (IT), प्रवर्तन निदेशालय (ED) और आर्थिक अपराध अनुसंधान (EOW) समेत कई जांच एजेंसियों को दिए गए शिकायती पत्र में आरोप लगाते हुए कहा कि विकास दुबे के खजांची जय बाजपेई ने अपने साथियों रजय बाजपेई प्रमोद विश्वकर्मा ,पवन गुप्ता  समेत करीब एक दर्जन  लोगों के जरिए Vikas Dubey के काले कारोबार की कमाई को अलग-अलग ढंग से ठिकाने लगवाया। इसमें तमाम बेनामी संपत्तियों के साथ लग्जरी गाड़ियां और अन्य जगहों पर इनवेस्टमेंट किया गया। 

सौरभ भदौरिया का आरोप है कि जांच एजेंसियों को चाहिए कि वह इन सभी लोगों की जांच करें। ताकि Vikas Dubey की काली कमाई के “साम्राज्य” का खुलासा हो सके।

 सौरभ भदौरिया का आरोप है कि यह एक संगठित गिरोह था, जो सफेदपोश नेताओं और कुछ अफसरों के संरक्षण की वजह से फलता-फूलता रहा। जिसने भी इस गिरोह के खिलाफ आवाज उठाई उसके खिलाफ षडयंत्र के तहत रिपोर्ट दर्ज करवा दी गई। अब चूंकि एक बड़ा कांड हो चुका है। कई सफेदपोश और अफसरों के चेहरे बेनकाब हो चुके हैं, इस लिए जांच एजेंसियों को चाहिए कि वह जिन लोगों की शिकायत की गई है वह उनके खिलाफ जल्द से जल्द जांच करें। 

सौरभ भदौरिया का आरोप है कि भाजयुमों के कई नेताओं के जरिए जय बाजपेयी ने विकास दुबे के कई करोड़ रुपए ब्याज पर बंटवाए।

 कई संपत्तियों की खरीद-फरोख्त पिछले कई साल में हुई। तीन लग्जरी गाड़ियों का बरामद होना भी इसका एक प्रमाण है। सौरभ भदौरिया का कहना है कि यदि सही जांच हुई तो करीब आधा दर्जन बीजेपी के नेता सलाखों के पीछे होंगे। 

सौरभ भदौरिया का आरोप है कि दो आइपीएस अफसरों, एक पीपीएस अफसर के साथ-साथ दर्जन भर के करीब थानेदार भी परोक्ष और अपरोक्ष तरीके से विकास दुबे एंड टीम को संरक्षण दे रहे थे। यही वजह रही कि विकास दुबे ने जय बाजपेई के साथ मिलकर बडा आर्थिक “साम्राज्य” खडा कर लिया।

 सौरभ भदौरिया ने बिकरू में सीओ समेत 8 पुलिस कर्मियों की हत्या के मामले में अभी तक आरोपियों के खिलाफ रासुका और धारा 34 की कार्रवाई न होने पर सवालिया निशान उठाया है।

 सौरभ भदौरिया का आरोप है कि पूरे मामले में अभी भी कई पुलिस अफसरों और बीजेपी के नेताओं को बचाने के लिए अंदरखाने में “खेल” चल रहा है। सौरभ भदौरिया ने पूरे मामले की जांच सीबीआइ से कराने की भी मांग की है।

 सौरभ भदौरिया का कहना है कि करीब दर्जन भर थानेदारों के संपत्तियों की भी जांच एजेंसियों को करनी चाहिए। ताकि यह पता चल सके कि यह सब लोग कैसे करोड़पति बने हैं।
- गैंगेस्टर Vikas Dubey गिरोह के खजांची Jai Bajpai समेत कई के खिलाफ शिकायत 

- जरायम के जरिये अकूत संपत्ति बनाने के मामले में एडवोकेट की की जांच की मांग 

Yogesh Tripathi

 दुर्दांत अपराधी विकास दुबे के खजांची जय बाजपेयी और उसके गिरोह खिलाफ आर्थिक अपराध अनुसंधान (EOW) में शिकायत की गयी है कि किस तरह जरायम के जरिये सभी ने अकूत संपत्ति बना ली है. इस शिकायत में कई सफेदपोश के भी नाम हैं जिन्होंने गिरोह के जरिये काली कमाई इकठ्ठा की है। शिकायतकर्ता अधिवक्ता सौरभ भदौरिया ने मामले में गठित एसआईटी को भी इसकी जानकारी दी है साथ ही जल्द विजिलेंस और सुप्रीम कोर्ट द्वारा जांच टीम को भी साक्ष्य देने की बात की है।

क्रय विक्रय सहकारी संघ के निदेशक और अधिवक्ता सौरभ भदौरिया ने बताया की भू-माफिया जयकान्त बाजपेयी, राजयकांत बाजपेयी और गिरोह के खिलाफ पहले भी शिकायत की गयी थी। 

सौरभ का आरोप है कि जयकांत के पिता पंचर की दूकान चलाते थे, जयकांत स्क्रीन प्रिंटिंग का काम करता था और भाई राजयकांत पान की दुकान संचालित करता था लेकिन कुछ दिनों में विकास दुबे के सहयोग से जय और उसके करीबी करीब दर्जन भर लोगों ने कम समय में जरायम से अकूत संपत्ति कमाई है।

 जिनकी जांच शासन, आयकर विभाग, केडीए, सीबीआई, ईडी से कराई जाए। सौरभ का कहना है कि इसकी शिकायत पहले भी की जा चुकी है लेकिन अभी तक गिरोह के लोगों पर कोई कार्यवाही नहीं की गयी है। उन्होंने कहा की 9 लोग हैं जो काले साम्राज्य को चलाते आ रहे थे और कुछ लोग आज भी सक्रीय हैं लेकिन कोई भी कार्यवाही नहीं की जा रही है. उन्होंने कहा की कुछ दिखावटी धंधो की आड़ में बड़े कारनामे गिरोह कर रहा है। 

KDA कर्मचारियों पर मिलीभगत का आरोप

सौरभ भदौरिया ने खजांची जयकांत व रजयकांत बाजपेयी के ब्रहम्म नगर स्थित मकान 111/481 और 111/ 478 अवैध है। जिनको गिराने क आदेश पहले ही दिए जा चुके हैं लेकिन KDA के कर्मचारियों की मिलीभगत से कार्यवाही नहीं हो रही है। उन्होंने कहा की इसकी शिकायत की गयी थी लेकिन कुछ दिन मकान सील करने के बाद अपराधी जयकांत ने 6 मंजिला इमारत खड़ी कर ली। जिस पर तत्काल कार्यवाही की मांग की है।

-दो साल पहले दंपति ने की थी लव मैरिज

-ईंट और पत्थर से कुचलकर की गई हत्या

-युवती ने पहले पति को छोड़ की थी दूसरी शादी

-SSP (Kanpur) मौका-ए-वारदात पर पहुंचे

-कई बिन्दुओं पर छानबीन कर रही है Police

Yogesh Tripathi

 

Kanpur के रेलबाजार थाना एरिया में दंपति की निर्मम हत्या कर दी गई। मंडे की सुबह Double Murder की खबर से सनसनी फैल गई। SSP (Kanpur) Dr. Preetindar Singh मौका-ए-वारदात पर पहुंचे। फॉरेंसिक एक्सपर्ट की टीम ने भी घटनास्थल से तमाम साक्ष्यों और सबूतों का संकलन किया। पुलिस कई बिन्दुओं पर छानबीन कर रही है। पुलिस को घर के अंदर सामान अस्त-व्यस्त हालत में मिले। Police के मुताबिक कातिलों ने दंपति के सिर और चेहरे पर ईंट-पत्थर से प्रहार कर हत्या की।

बस्ती जनपद निवासी रामदीन निषाद पेंटर हैं। रेलवे में वह कॉन्ट्रैक्ट पर पेंटिंग का काम करते हैं रामदीन परिवार के साथ रेलवे स्टेडियम में पवेलियन के नीचे बने क्वार्टर में कई साल से रह रहे हैं। रामदीन के परिवार में पत्नी कुसुम, चार बेटे विष्णु, सूरज, शिवा, नंदी और दो बेटियां प्रीति, नंदिनी हैं।


रामदीन ने पुलिस को बताया कि रेलवे ग्राउंड स्थिर क्वार्टर में उनका बेटा विष्णु, बहू शालू रहते हैं। परिवार के अन्य सदस्य श्यामनगर स्थित किराए के मकान में रहते हैं। बेटे विष्णु (23) की शादी दो साल पहले शालू से हुई थी। शालू ने पहले पति को छोड़ दिया था। विष्णु भी पेंटिंग का काम करता था।

बकौल रामदीन संडे की रात्रि करीब 9 बजे वह घर पहुंचा। बेटा और बहू घर के बाहर बैठे थे। थोड़ी देर बाद बहू शालू ने भोजन दिया। रात करीब 12 बजे बेटे ने आवाज देने पर पानी दिया। इसके बाद बेटा और बहू घर के बाहर मैदान में सो गए। सोमवार सुबह रामदीन की नींद खुली तो कमरे का सामान बिखरा पड़ा मिला। घर के बाहर बेटे और बहू की रक्तरंजित लाश पड़ी देख रामदीन की चीख निकल गई।


रामदीन की सूचना पर रेलबाजार थाने की फोर्स पहुंची। थोड़ी देर में SSP (Kanpur) Dr.preetindar Singh भी पहुंच गए। SSP का कहना है कि घर का सामान बिखरा मिला है। लूटपाट की आशंका भी जताई जा रही है। विष्णु और शालू के मोबाइल पुलिस ने कब्जे में लेकर छानबीन शुरु कर दी है। शालू की पहली शादी के बिंदु पर भी छानबीन की जा रही है। जल्द ही Double Murder का खुलासा कर कातिलों को Arrest कर लिया जाएगा।

 

मैदान में सजती है शराबियों की महफिल

रेलवे स्टेडियम में रहने वाले लोगों ने पुलिस को बताया कि मैदान में 24 घंटे शराबियों, स्मैकियों और अराजकतत्वों का जमावड़ा लगा रहता है। चूंकि स्टेडियम चारो तरफ से खुला है। इस लिए आसानी से अंदर कोई भी आ जा सकता। शाम होते ही यहां शराबी शराब पीने के लिए आकर बैठ जाते हैं। यहां पर रहने वाले लोगों ने कई बार रेलबाजार पुलिस से शिकायत की लेकिन पुलिस ने कभी इस समस्या से निजात दिलाने की कोशिश नहीं की।