मार्च 2019

Lok Sabha Election 2019 : समाजवादी पार्टी ने Unnao से Ex.MLA रहे रामकुमार को Kanpur Nagar लोकसभा सीट से अपना प्रत्याशी बनाया है। रामकुमार और उनके परिवार का Kanpur की राजनीति से पुराना नाता है। पिता मनोहर लाल यहां से सांसद और छावनी विधान सभा से विधायक रह चुके हैं। पिता मनोहर लाल के नाम एक बड़ा इतिहास आज भी दर्ज है। 1977 में बने इस इतिहास को आज तक कोई भी लोकसभा प्रत्याशी तोड़ नहीं सका है। रामकुमार इलेक्शन मैनेजमेंट के बड़े एक्सपर्ट हैं। पिता से लेकर भाई तक सभी के चुनाव का मैनेजमेंट वही संभालते रहे हैं।


YOGESH TRIPATHI


रामकुमार ने 45 साल पहले संभाली थी पिता के चुनाव की कमान


बेहद मृदुभाषी रामकुमार कानपुर के चकेरी स्थित वाजिदपुर (जाजमऊ) एरिया में परिवार के साथ रहते हैं। पिता मनोहर लाल लोहिया विचारधारा के नेता थे। मनोहर लाल जब 74 में छावनी विधान सभा से विधायकी का चुनाव लड़े तो बेटे रामकुमार ने उनके चुनाव की कमान संभाली। 75 में मीसा के तहत मनोहर लाल को Arrest कर लिया गया। पेशे से अधिवक्ता रामकुमार ने पिता और उनके साथियों की गिरफ्तारी के बाद सभी की अदालत में पैरवी भी की। 1977 में मनोहर लाल कानपुर संसदीय सीट से जब लोकसभा का चुनाव लड़े तो एक बार फिर चुनाव मैनेजमेंट की कमान बेटे रामकुमार के हाथ में दी।

[caption id="attachment_19192" align="alignnone" width="695"] सपा संरक्षक और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के साथ रामकुमार। फोटो साभार (रामकुमार जी के facebook) वॉल से।[/caption]

पिता मनोहर लाल के नाम दर्ज है अनोखा रिकार्ड


मनोहर लाल ने 77 में जनता पार्टी के टिकट पर कानपुर से लोकसभा का चुनाव लड़ा था। राजनीति के जानकारों की मानें तो इस चुनाव में पड़े कुल वोटों का 70 प्रतिशत मत मनोहर लाल को और शेष 30 प्रतिशत अन्य सभी प्रत्याशियों को मिला। ये आज भी रिकार्ड है, तब से लेकर लोकसभा के कई चुनाव हुए हैं लेकिन कोई भी प्रत्याशी इसे नहीं तोड़ पाया। रामकुमार के पिता मनोहर लाल सोशलिस्ट विचारधारा के बड़े नेता थे।

https://twitter.com/samajwadiparty/status/1111861895630340097

 भाई दीपक कुमार के चुनाव की भी कमान संभालते थे रामकुमार


सिर्फ पिता ही नहीं बल्कि रामकुमार अपने भाई स्वर्गीय दीपक कुमार के चुनावों की कमान भी समय-समय पर संभालते रहे हैं। फिर चुनाव चाहे पार्षदी का रहा हो या फिर विधायकी व सांसदी का, हर चुनाव में रामकुमार ने पर्दे के पीछे से अपनी बड़ी भूमिका परिवार के लिए निभाई। 1999 में भाई दीपक कुमार के सांसद बन जाने की वजह से रिक्त हुई उन्नाव सदर की सीट पर हुए उपचुनाव में सपा ने रामकुमार को टिकट दिया। इस चुनाव में रामकुमार चुनाव जीतकर विधायक बने। हालांकि अगला चुनाव वे हार गए। इसके बाद उन्होंने दीपक कुमार की पत्नी मनीषा दीपक के चुनावों का भी मैनेजमेंट देखा।

उन्नाव में संचालित हैं कई शैक्षणिक संस्थान


रामकुमार पुराने सपाई हैं। लोहिया विचारधारा के साथ-साथ अपने पिता की तरह वे भी सोशलिस्ट हैं। कानपुर में सभी धर्मों के अनुयाइयों के बीच रामकुमार की तगड़ी पैंठ है। रामकुमार के उन्नाव और कानपुर में चार बड़े शैक्षणिक संस्थान हैं। जिनमें वे प्रबंधक और अध्यक्ष का निर्वाहन लंबे समय से करते आ रहे हैं। 15 जुलाई 1957 को जन्में रामकुमार ने MSC के बाद LLB की भी पढ़ाई की। परिवार में पत्नी तारारानी के अलावा दो बेटे और एक बेटी है। बेटी की शादी हो चुकी है। www.redeyestimes.com से बातचीत में रामकुमार ने कहा कि सपा हाईकमान की तरफ से मुझे कानपुर लोकसभा सीट से टिकट दिया गया है। कार्यकर्ताओं और क्षेत्र की जनता के प्यार और आशीर्वाद से वे चुनाव जीतेंगे। रामकुमार ने कहा कि मुकाबला बेहद दिलचस्प रहेगा।

 

 

Lok Sabha Election 2019 : किदवईनगर के Ex.MlA  अजय कपूर और UPA के कार्यकाल में गृहराज्यमंत्री और केंद्रीय कोयला मंत्री रहे श्रीप्रकाश जायसवाल के “रिश्तों की चासनी” Kanpur में जग जाहिर है। दोनों के बीच राजनीतिक तल्खी लंबे समय से है। ये तल्खी तब और बढ़ गई जब Congress हाईकमान ने लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए तगड़ी तैयारी कर रहे अजय कपूर को टिकट न देकर “राजनीतिक लंगड़ीं” मार दी। श्रीप्रकाश जायसवाल का टिकट Final होते ही अजय समर्थकों में मायूसी छा गई। सोशल मीडिया के जरिए अजय कपूर के समर्थक न सिर्फ नाराजागी जाहिर करते दिखे बल्कि उनके सपा से प्रत्याशी बनाए जाने की खबरें भी चर्चा में आ गई। हालांकि अजय कपूर की तरफ से इन सब बातों को लेकर न तो कोई सफाई दी गई और न ही कोई जवाब। अंदरखाने से खबरें आ रही है कि दोनों के बीच बढ़ी रार को खत्म कराने के लिए एक “बड़ा सिस्टम” एक्टिव है। जानकार सूत्रों की मानें तो ये श्रीप्रकाश और अजय कपूर की रार को खत्म कराने के लिए इसी “सिस्टम” ने पहल की। कानपुर के इन दो बड़े कांग्रेसी दिग्गजों के बीच रार खत्म हुई कि नहीं ? इसका जवाब शनिवार सुबह तब मिल गया जब सपा ने जैसे ही मनोहर लाल के बेटे रामकुमार निषाद को सपा से अधिकृत प्रत्याशी घोषित किया। देर रात तक दोनों ही नेताओं से संपर्क करने की कोशिश Portal  की तरफ से की गई लेकिन किसी से संपर्क नहीं हो सका। हालांकि पुख्ता खबर ये है कि कांग्रेस ने Kanpur में अपने "डैमेज" को "कंट्रोल" कर लिया है।


[caption id="attachment_19186" align="aligncenter" width="413"] रामकुमार निषाद (सपा-बसपा गठबंधन), प्रत्याशी कानपुर लोकसभा।[/caption]

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[caption id="attachment_19184" align="aligncenter" width="600"] अजय कपूर (पूर्व विधायक, किदवईनगर विधान सभा)[/caption]

एक दिल्ली तो दूजा वैष्णव माता के दरबार में


अजय कपूर को लेकर शुक्रवार पूरे दिन खबर रही है कि वो हाईकमान (राहुल गांधी) से मिलने दिल्ली पहुंच चुके हैं। www.redeyestimes.com के पास जो जानकारी है उसके मुताबिक अजय कपूर कानपुर से अपने अंगरक्षकों के साथ ही निकले। वहीं श्रीप्रकाश को लेकर उनके समर्थक पूरे दिन ये कहते रहे कि वो माता वैष्णव देवी के आशीर्वाद के लिए जम्मू में हैं। अजय कपूर के समर्थकों में देर रात्रि तक बेचैनी रही। देर रात्रि तक कयासबाजी का दौर चला।

अजय कपूर को मिल सकता है कांग्रेस में बड़ा पद


अंदरखाने से जो खबरें आ रही है उसके मुताबिक अजय कपूर की नाराजगी को दूर करने के लिए जल्द ही उनको कांग्रेस कमेटी में बड़ा पद मिल सकता है। हालांकि शुक्रवार रात को कांग्रेस के नेशनल प्रेसीडेंट राहुल गांधी से अजय कपूर की मुलाकात नहीं हो सकी लेकिन इस बीच सबकुछ ऑनलाइन चलता रहा। खबर है कि इस पूरे सिस्टम के पीछे कहीं न कहीं राहुल गांधी की तरफ से सिग्नल था कि Kanpur में सबकुछ ठीक होना चाहिए। माना ये भी जा रहा है कि कार्यकर्ताओं और जनता के बीच एक अच्छा मैसेज देने के लिए संभव है कि दोनों ही दिग्गज मीडिया से भी मुखातिब हो सकते हैं। हालांकि श्रीप्रकाश जायसवाल और अजय कपूर की तरफ से अभी तक ऐसी कोई जानकारी नहीं दी गई है।

बीजेपी के खेमें में बढ़ी बेचैनी


बदले राजनीतिक समीकरण में सबसे अधिक बेचैनी सिर्फ और सिर्फ बीजेपी में ही देखी जा रही है। सिर्फ अजय कपूर के समर्थक ही नहीं बल्कि बीजेपी के दिग्गज भी यही मानकर चल रहे थे कि अजय कपूर सपा-बसपा गठबंधन के टिकट पर कानपुर से लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं। यदि अजय कपूर चुनाव लड़ते तो उसका सीधा एडवांटेज बीजेपी प्रत्याशी को होता। सपा ने शनिवार सुबह प्रत्याशी के नाम की घोषणा की तो बीजेपी नेताओं और समर्थकों में मायूसी छा गई है। कांग्रेसी दिग्गज ये मानकर चल रहे हैं कि सपा ने जो प्रत्याशी उतारा है वो डमी है और 20 से 25 हजार के बीच ही वोट पा सकेगा। लेकिन यदि अजय कपूर चुनाव लड़ते तो ये सारे समीकरण बिगड़ जाते। मुस्लिम वोटों का भी तगड़ा ध्रुवीकरण होता और चुनाव श्रीप्रकाश के हाथ से फिसल सकता था। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा।

पूरी “कहानी” के पीछे दूसरे दल के दिग्गज


अंदरखाने से जो खबरें आ रही हैं उसके मुताबिक एक दूसरे राजनीतिक दल के दिग्गज की वजह से ये सबकुछ संभव हो सका है। इस दिग्गज ने दिल्ली में बैठे एक ताकतवर नेता को विश्वास में लेने के बाद सारे “समीकरण” बैठाए। दो दिग्गजों के बीच “समीकरण” बैठाने वाले “महाराथी” मुंबई में मौजूद रहे ताकि किसी तरह के “राजनीतिक बवंडर” से बचा जा सके। बताया जा रहा है कि राजनीति के इस “महारथी” ने एक “तीर” से कई “शिकार” किए हैं। जल्द ही इसका व्यापक असर कानपुर की राजनीति में देखने को मिलेगा।

 

 
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Lok Sabha Election 2019 : लंबे समय से देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ “बगावत” का डंका बजा रहे सांसद शत्रुघ्न सिन्हा Congress प्रेसीडेंट राहुल गांधी से मुलाकात के बाद अब नए सिरे से “हमलावर” हो गए हैं। उनके निशाने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह हैं। शत्रुघ्न सिन्हा ने एक टीवी चैनल को दिए गए इंटरव्यू में कहा कि “वन मैन शो” और “टू मैन ऑर्मी” ने बीजेपी में लोकशाही को तानाशाही में तब्दील कर दिया है। उन्होंने कहा कि तीन दशक से बीजेपी को सींच रहा पुराना और गरीब कार्यकर्ता की सुनने वाला कोई नहीं है। पूंजीपतियों और गैर दलों से आए लोगों को बोलबाला है।


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आडवाणी और जोशी जी को निर्दलीय चुनाव लड़ना चाहिए


भारतीय जनता पार्टी (BJP) से नाता तोड़कर कांग्रेस में जाने की तैयारी कर चुके मशहूर अभिनेता और दिग्गज नेता शत्रुघ्न सिन्हा (Shatughan Sinha) का कहना हैं कि उन्होंने पार्टी नहीं छोड़ी,  पार्टी ने उन्हें छोड़ा है। (बीजेपी) ने उनके कहे को हमेशा गलत समझा। मैं तो बस आइना दिखा रहा था। उन्होंने कहा कि आडवाणी जी और जोशी जी का काफी अपमान हुआ है। दोनों लोगों को चाहिए कि वे निर्दलीय चुनाव लड़ें।

वन मैन शो एंड टू मैन आर्मी  ने सब खराब किया


शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा कि “वन मैन शो और टू मैन ऑर्मी” ने आडवाणी जी और जोशी को काफी जिल्लत दी है। परिणाम सबके सामने है। कोई पार्टी में अपनी बात न तो कह सकता है  और न ही रख सकता है। उन्होंने कहा कि पिछले चुनाव में वे मोदी लहर की वजह से नहीं जीते थे। इस बार तो “मोदी कहर” का माहौल है। शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा कि आरजेडी-कांग्रेस में गड़बड़ी हुई तो वे ब्रिज का काम करेंगे। शत्रुघ्न सिंन्हा ने कहा कि वे शुरु से ही गांधी और नेहरू परिवार के काफी नजदीक रहे हैं।

पटना साहिब से लड़ेंगे चुनाव शत्रुघ्न सिन्हा


शत्रुघ्न सिन्हा ने गुरुवार को कांग्रेस प्रेसीडेंट राहुल गांधी से मुलाकात की। बैठक में तय हुआ कि वो नवरात्रि में कांग्रेस ज्वाइन करेंगे। शायद यही वजह रही है कि पटना साहिब सीट से प्रत्याशी का ऐलान नहीं किया गया है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो शत्रुघ्न सिन्हा पटना साहिब से ही चुनाव लड़ेंगे। बीजेपी ने यहां से केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद को प्रत्याशी बनाया है।

 

 

Lok Sabha Election 2019 : कवियत्री मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में आजीवन कारावास की सजा काट रहे Uttar Pradesh के पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी की बेटी तनुश्री त्रिपाठी का Congress ने लोकसभा का टिकट कुछ घंटे में ही काट दिया। तनुश्री की जगह अब सीनियर जर्नलिस्ट सुप्रिया श्रीनेत कांग्रेस के टिकट पर महाराजगंज लोकसभा सीट से कांग्रेस की प्रत्याशी होंगी। सुप्रिया के पिता हर्षवर्धन सिंह इस सीट से 2009 में लोकसभा का चुनाव जीत चुके हैं। सुप्रिया अंग्रेजी टीवी चैनल ET NOW में Executive Editor के पद पर कार्य कर चुकी हैं।


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कई बड़े मीडिया हाउस में काम कर चुकी हैं सुप्रिया श्रीनेत


सुप्रिया श्रीनेत ET NOW में काम करने से पहले देश के कई बड़े मीडिया हाउस में बतौर सीनियर जर्नलिस्ट अपनी सेवाएं दे चुकी हैं। इसमें इंडिया टुडे, एनडीटीवी, इकोनॉमिक्स टाइम्स शामिल हैं। बताया जा रहा है कि वे पिछले कुछ महीने से राजनीतिक पारी खेलने के लिए इच्छुक थीं। चुनावी शंखनाद होने के साथ ही वे कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने के लिए सक्रिय हुईं। राहुल और प्रियंका से बातचीत के बाद शुक्रवार सुबह उनके नाम पर फाइनल मुहर लगी।

https://twitter.com/SupriyaShrinate/status/1111503193786060801

 12 प्रत्याशियों की एक और सूची कांग्रेस ने जारी की


कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव के लिए 12 और प्रत्याशियों की सूची जारी की है। इसमें 7 प्रत्याशी उड़ीसा, 4 बिहार के हैं। यूपी से सुप्रिया श्रीनेत का नाम है। सुप्रिया को तनुश्री त्रिपाठी का टिकट काटने के बाद कांग्रेस ने प्रत्याशी घोषित किया है। गौरतलब है कि गुरुवार रात कांग्रेस की तरफ से जारी प्रत्याशियों की सूची में महाराजगंज लोकसभा सीट से तनुश्री त्रिपाठी का नाम था।

[caption id="attachment_19177" align="alignnone" width="730"] भाई अमनमणि त्रिपाठी और बहन अलंकृता के साथ तनुश्री त्रिपाठी।[/caption]

तनुश्री के माता-पिता काट रहे हैं आजीवन कारावास की सजा


तनुश्री त्रिपाठी यूपी के पूर्व मंत्री और मधुमिता शुक्‍ला हत्‍याकांड में आजीवन कारावास की सजा काट रहे अमर मणि त्रिपाठी और मधुमणि त्रिपाठी की बेटी हैं। तनुश्री एक सप्ताह पहले पूर्व शिवपाल यादव की पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी ने टिकट दिया था। गुरुवार को कांग्रेस की तरफ से जारी सूची में तनुश्री त्रिपाठी का नाम देख सत्ता के गलियारों में हलचल मच गई। शुक्रवार सुबह तनुश्री जब कांग्रेस के लखनऊ दफ्तर जाने की तैयारी कर रही थीं तो इसी बीच कांग्रेस ने एक और सूची जारी कर दी। इस सूची में तनुश्री की जगह पत्रकार सुप्रिया श्रीनेत को महाराजगंज से प्रत्याशी बनाया है।

भाई अमनमणि त्रिपाठी पर है हत्या का इल्जाम

यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन से इंटरनेशनल रिलेशन में मास्‍टर्स की डिग्री हासिल करने वाली तनुश्री नौतनवा से विधायक अमनमणि त्रिपाठी की बहन हैं। तुनश्री उस समय चर्चा में आईं थी, जब उन्‍होंने साल 2017 के विधान सभा चुनाव में हत्यारोपित भाई अमन मणि त्रिपाठी के चुनाव प्रचार की कमान संभाली थी। गौरतलब है कि पत्‍नी सारा सिंह की हत्‍या में अमनमणि त्रिपाठी पर केस चल रहा है। जेल में ही रहकर उन्होंने नौतनवां से विधायकी का चुनाव लड़ा और जीता भी। इस चुनाव की कमान तनुश्री त्रिपाठी और उनकी बहन अलंकृता ने संभाल रखी थी।


 

 
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Lok Sabha Election 2019 : चुनाव आचार संहिता 10 मार्च को लागू हो चुकी है। राजनीतिक दलों को ही नहीं बल्कि देश की आम जनता को भी इसका कड़ाई से पालन करना होता है। लेकिन ऐसा लग रहा है कि सरकारी मिशनरी पूरी तरह से सत्ताधारी दल BJP के लिए कार्य कर रही है। शताब्दी एक्सप्रेस जैसी VVIP ट्रेन में “मैं भी चौकीदार” लिखे पेपर कप में चाय परोसने का फोटो सोशल मीडिया में वॉयरल होने के बाद हड़कंप मच गया। हरकत में आए रेल मंत्रालय ने आनन-फानन में इन कपों को तुरंत हटवाया। रेलवे की तरफ से ठेकेदार और सुपरवाइजर पर कठोर कार्रवाई की बात कही जा रही है।


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IRCTC ने कहा, नहीं ली गई थी कोई स्वीकृति


IRCTC के प्रवक्ता ने कहा ''मैं भी चौकीदार” वाले इस पेपर कप के लिए हमसे कोई भी पूर्व स्वीकृति नहीं ली गई थी। इस मामले में पर्यवेक्षक/पैंट्री इंचार्ज से स्पष्टीकरण मांगा गया है। सेवा प्रदाता पर एक  लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया है। सेवा प्रदाता को इस कदाचार के लिए नोटिस भी दिया गया है।


 

https://twitter.com/ANI/status/1111532796491825152

Twitter पर वॉयरल की गई तस्वीर


शताब्दी में सफर करने वाले एक यात्री का दावा है कि इन पेपर कपों में दो बार चाय पिलाई गई। कप पर विज्ञापन संकल्प फाउंडेशन नामक NGO की तरफ से किया गया था। इससे पहले एयर इंडिया और रेलवे के टिकट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीरों को लेकर भी चुनाव आयोग ने दोनों संस्थाओं  से जवाब मांगा था। गौरतलब है कि चुनाव आचार संहिता लागू होने के बाद इस तरह के समाग्रियों पर रोक लगा दिया जाता है।

सत्ताधारी दलों से जुड़े रहते हैं अधिकांश NGO


जानकारों की मानें तो अधिकांश NGO सत्ताधारी दलों से जुड़े होते हैं। इसमें राजनीतिक दलों के नेताओं के परिवारीजन से लेकर रिश्तेदार, तमाम अफसरों के परिजन के साथ-साथ सफेदपोश लोगों के स्वयं सेवी संगठन सत्ता से साठगांठ कर सरकार से लाभ समय-समय पर प्राप्त करते हैं। इन NGO के जरिए नेता और मंत्री तमाम से कार्य करवाते हैं। सरकारी ठेका दिलाने के बदले मोटी रिश्वत और कमीशन का भी खेल चलता है। सरकारी कार्यों का ठेका भी इनको सेटिंग-गेटिंग के फार्मूलें के बल पर ही मिलता है। तमाम ऐसी सरकारी योजनाएं हैं जो सिर्फ और सिर्फ NGO के बल पर ही संचालित करवाई जा रही हैं।

 

Lok Sabha Election 2019 : Kanpur लोकसभा सीट पर पल-पल बदल रहे "सियासी गणित" ने पड़ोस की (अकबरपुर लोकसभा ) सीट के "राजनीति समीकरण" बिगाड़ दिया है। अकबरपुर के दो बड़े और धुरंधर दावेदारों को यदि सबकुछ ठीक-ठाक रहा तो मायूसी हाथ लग सकती है। टिकट की रेस में सबसे पीछे चल रहे अनिल शुक्ला वॉरसी “जातिगत गणित” के लिहाज से इस समय सबसे आगे हो चुके हैं। वॉरसी का RSS और उसके पदाधिकारियों से हालांकि कोई दूर-दूर तक कोई गहरा नाता नहीं है लेकिन फिर भी उनके नाम पर RSS ने अपनी मुहर लगा दी है। RSS ने बीजेपी संगठन को जो पत्र दिया है उसमें अनिल शुक्ला को लेकर कई तर्क दिए हैं। यही वजह रही है कि केंद्रीय चुनाव समिति (CEC) की मीटिंग में देर रात तक Kanpur के साथ अकबरपुर लोकसभा की सीट पर भी तगड़ा मंथन किया गया। हालांकि प्रत्याशियों के नामों का रिजल्ट अभी नहीं आएगा। कम से कम दो-तीन दिन का अभी और वक्त लग सकता है।


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[caption id="attachment_19165" align="alignnone" width="695"] अनिल शुक्ला वॉरसी (पूर्व सांसद)[/caption]

Kanpur की वजह से बिगड़ा अकबरपुर का “समीकरण”


RSS ने जब नीतू सिंह का सिंगल नाम फाइनल करके बीजेपी संगठन के पास भेजा तभी से कयास लगाए जा रहे थे कि अकबरपुर से प्रत्याशी कौन होगा ? क्यों कि जातिगत समीकरण को ध्यान में रखना था। अकबरपुर लोकसभा सीट से वर्तमान सांसद देवेंद्र सिंह भोले और बिठूर विधायक अभिजीत सिंह सांगा ने शुरु से तगड़ी दावेदारी कर रखी है। सांगा के पक्ष में सर्वे रिपोर्ट है तो भोले के समर्थन में संगठन के साथ-साथ कई कद्दावर नेता और मंत्री भी पैरवी में जुटे हुए हैं। RSS के बड़े पदाधिकारी के मुताबिक कानपुर सीट से नीतू सिंह के नाम को बीजेपी संगठन के पास भेजने के बाद अकबरपुर सीट पर जातिगत समीकरण को ध्यान में रखते हुए और दूसरा कोई विकल्प नहीं था। RSS की तरफ से भेजी गई रिपोर्ट और उसकी थ्यौरी पर बीजेपी संगठन काफी गंभीर है।

RSS ने BJP संगठन को ये तर्क दिए


राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) ने बीजेपी संगठन को भेजी अपनी रिपोर्ट में अकबरपुर लोकसभा को लेकर कई तर्क दिए हैं। पहला ये कि कांग्रेस ने पाल बिरादरी (पिछड़ा वर्ग) से राजाराम पाल को टिकट दिया है। बसपा-सपा गठबंधन से निशा सचान (पिछड़ा वर्ग) से आती हैं। ऐसे में बीजेपी को सामान्य वर्ग के प्रत्याशी को टिकट देना चाहिए। कानपुर सीट से यदि संगठन नीतू सिंह के नाम पर अपनी मुहर लगाता है तो जातिगत समीकरण के मद्देनजर अकबरपुर लोकसभा सीट से हर कीमत पर ब्राम्हण प्रत्याशी को ही चुनाव लड़ाना होगा। कुल मिलाकर शहर के नीतू सिंह फैक्टर के सहारे ही अनिल शुक्ला वारसी रेस में इस वक्त नंबर वन की पोजीशन पर हैं।

RSS  और BJP को सता रहा है भीतरघात का डर


खुफिया सूत्रों के जरिए RSS और BJP के पास जो रिपोर्ट पहुंची है उससे दिग्गज डरे हुए हैं। सभी को भीतरघात का डर सता रहा है। जानकारी के मुताबिक हाईकमान भी मान रहा है कि दावेदारी कर रहे ठाकुर बिरादरी के दो दिग्गजों में यदि किसी एक को टिकट दी गई तो बड़ा भीतरघात हो सकता है। जानकार इसे दो की लड़ाई में तीसरे का फायदा होने की बात भी कह रहे हैं।

 पत्नी प्रतिभा शुक्ला हैं रनिया से विधायक


अनिल शुक्ला वॉरसी पूर्व में लोकसभा सांसद रह चुके हैं, वो भी बसपा के टिकट पर। हालांकि इसके बाद का चुनाव वे हार गए। 2017 के विधान सभा चुनाव में इस दंपति ने भगवा चोला ओढ़ा। इसके बाद अनिल शुक्ला वॉरसी पत्नी के लिए रनिया विधान सभा से टिकट ले आए। चुनाव में प्रतिभा विजयी हो गईं। समाजवादी पार्टी से राजनीतिक जीवन शुरु करने वाले अनिल शुक्ला का कार्यक्षेत्र वैसे तो कानपुर देहात है लेकिन निवास कानपुर के किदवईनगर में है।

 

 

Lok Sabha Election 2019 : राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के शीर्ष नेतृत्व की जिद के आगे अंतत: Kanpur के सांसद Murli Manohar Joshi की एक नहीं चली और वे टिकट की दौड़ से “Out” कर दिए गए। लालकृष्ण आडवाणी के बाद मुरली मनोहर जोशी का भी टिकट BJP ने काट दिया है। श्रीजोशी ने एक पत्र जारी कर शीर्ष नेतृत्व के इस फैसले का खुलासा किया। पत्र में उन्होंने लिखा है कि बीजेपी संगठन के महामंत्री रामलाल ने उनसे कहा है कि "कानपुर ही नहीं वे कहीं से भी चुनाव नहीं लड़ेंगे"। गौरतलब है कि www.redeyestimes.com ने कुछ दिन पहले ही BJP की “धरोहरों” का लोकसभा चुनाव से “पत्ता साफ” होने की खबर प्रमुखता से प्रकाशित की थी। बीजेपी लालकृष्ण आडवाणी का टिकट पहली सूची में ही काट चुकी है।


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चुनाव लड़ने की जिद पर अड़े थे डॉ. मुरली मनोहर जोशी


बीजेपी की तरफ से टिकट न दिए जाने की बात मालुम होने के बाद भी मुरली मनोहर जोशी Kanpur से चुनाव लड़ने के लिए पूरी तरह से आमादा थे। कई बार उन्होंने इसके लिए घुड़की भी दी थी। जेपी नड्डा और संगठन मंत्री ने कई चक्र की बातचीत के बाद उनको मनाने की तमाम कोशिशें कीं लेकिन वे नहीं मानें। होली का त्योहार दिल्ली में मनाने के बाद उन्होंने गंगा मेला Kanpur में मनाने का ऐलान कर दिया। उनके कानपुर आने का प्रोटोकाल भी जिला प्रशासन और बीजेपी के नेताओं के पास दो दिन पहले आ गया था। अब उनके कानपुर के गंगामेला में शामिल होने वाले कार्यक्रम को निरस्त कर दिया गया है।


मतदाताओं के नाम मुरली मनोहर जोशी ने लिखा खत


मंडे को कानपुर के वोटर्स को डा.जोशी ने पत्र जारी कर खुद इसकी जानकारी दी। उनके बगैर हस्ताक्षर वाले इस पत्र की सत्यता की पुष्टि उनके निजी सचिव ललित अधिकारी ने की है। दो लाइन के पत्र में डॉ. जोशी ने कहा है कि सोमवार को भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री (संगठन) रामलाल की तरफ से उनको बताया गया कि उनके कानपुर ही नहीं बल्कि कहीं और से भी चुनाव नहीं लड़ना चाहिए।

https://twitter.com/pankajjha_/status/1110388638855028737

मोदी और शाह के दूत बनकर पहुंचे रामलाल


मुरली मनोहर जोशी की पछले कई दिनों से जिद को देखते हुए बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व के साथ RSS भी नाराज था। मुरली मनोहर जोशी को लेकर काफी माथापच्ची की गई। पहले ये तय किया गया कि मुरली मनोहर जोशी को कानपुर के गंगामेला में शामिल होने दिया जाए। कानपुर से वापसी के बाद टिकट काटे जाने की सूचना श्रीजोशी को दी जाए। लेकिन जब मुरली मनोहर जोशी के प्रोटोकाल में वापसी का कार्यक्रम नहीं मिला तो बीजेपी हाईकमान इस बात को लेकर बेचैन हो गया। आनन-फानन में तय किया गया कि कानपुर जाने से पहले ही उनका टिकट काट दिया जाए ताकि मुरली मनोहर जोशी की तरफ से किसी तरह के विवाद की स्थित और बयानबाजी से बचा जा सके। सूत्रों की मानें तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी प्रेसीडेंट अमित शाह की सहमति के बाद राष्ट्रीय संगठन मंत्री रामलाल टिकट काटे जाने का मैसेज लेकर मुरली मनोहर जोशी के पास पहुंचे। रामलाल से टिकट काटे जाने की खबर के बाद ही मुरली मनोहर जोशी की तरफ से बगैर हस्ताक्षर वाला पत्र जारी किया गया।


नीतू सिंह को लेकर RSS पीछे हटने के मूड में नहीं


सूत्रों की मानें तो RSS ने सिंगल नाम नीतू सिंह के नाम का बीजेपी संगठन के पास भेजा है। बैरिस्टर नरेंद्रजीत सिंह की पौत्र वधू नीतू सिंह को प्रत्याशी बनाए जाने को लेकर संघ के दिग्गज काफी गंभीर है। इस नाम के अतिरिक्त RSS के कद्दावर कोई और नाम पर सहमति नहीं है। हालांकि बीजेपी के पास कई दावेदारों की लिस्ट है। कुछ दावेदार तो दो-तीन दिन में बढ़े हैं। जिनकी पैरवी या तो कोई मंत्री कर रहा है या फिर संगठन के नेता।

Kanpur के प्रत्याशी की घोषणा में लग सकता है अभी कुछ और समय


कानपुर लोकसभा सीट पर प्रत्याशी के चयन में बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व को काफी परेशानी आ रही है। दावेदारों की एक लंबी लिस्ट दिल्ली में है। अपने पैरोकारों के जरिए सभी दावेदार लगातार पैरवी में भी जुटे हैं। हर दिन राजनीतिक समीकरण बन और बिगड़ रहे हैं। सूत्रों की मानें तो प्रत्याशी चयन में अभी और विलंब हो सकता है। मुरली मनोहर जोशी का टिकट काटने के बाद अव वे दावेदार खुलकर बैटिंग करेंगे जो अभी तक जोशी जी के कद को देखते हुए पर्दे के पीछे से अपनी पैरवी करवा रहे थे।

https://twitter.com/ANI/status/1110257279645831171

रात एक बजे CEC की बैठक से निकले PM


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केंद्रीय चुनाव समिति (CEC) की मीटिंग में शामिल होने के लिए मंडे की देर रात को पहुंचे। कई घंटे तक चली इस बैठक में कई नामों पर मुहर भी लगी। तमाम मुद्दों पर रणनीति बनाने के साथ कई प्रत्याशियों का चयन होने के बाद रात करीब एक बजे मीटिंग खत्म हुई। मीटिंग में कानपुर के प्रत्याशी को लेकर गंभीर चिंतन के साथ चर्चा हुई।
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Lok Sabha Election 2019 : Kanpur में संडे की शाम को आयोजित केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की शास्त्रीनगर स्थित काली मठिया के पास आयोजित सभा में सुरक्षा व्यवस्था उस समय तार-तार हो गई, जब एक सांड़ घुस आया। भीड़ के बीच पहुंचते ही सांड़ ने वहां बैठे लोगों पर हमला बोल दिया। सांड़ के हमले में एक महिला के जख्मीं होने की खबर है। महिला को तत्काल इलाज के लिए ले जाया गया।


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मंत्री के कार्यक्रम में नहीं लगई गई थी बैरिकेडिंग


लोकसभा चुनाव के मद्देनजर केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की सभा का आयोजन शास्त्री नगर स्थित काली मठिया के पास रखा गया था। एक चौराहे के पास आयोजित इस सभा में हजारों की भीड़ पहुंचीं। बड़े कार्यक्रम की जानकारी होने के बाद भी प्रशासन की तरफ से बैरिकेडिंग नहीं लगाई गई थी। बीजेपी कार्यकर्ता कार्यक्रम स्थल तक अपने वाहन ले जा रहे थे। लेकिन प्रशासन के सुरक्षा व्यवस्था की पोल एक सांड़ ने खोलकर रख दी।

https://twitter.com/redeyestimes/status/1109819536587534337

पुलिस की सुरक्षा को चीरकर पहुंचा सांड़


आवारा सांड़ अचानक कार्यक्रम के दौरान घुस गया। जब वो भीड़ के बीच पहुंचा तो वहां करीब आधा दर्जन से अधिक सुरक्षा कर्मी और पुलिस वाले मौजूद थे लेकिन किसी ने सांड़ को नहीं रोका। सांड़ पब्लिक के बीच पहुंचा तो वहां चीख-पुकार मच गई। मंत्री के भाषण को सुन रहे लोग जान बचाने के लिए भागने लगे। इस बीच एक महिला पर सांड़ ने हमला बोल दिया। गनीमत रही कि वहां मौजूद लोगों ने जब सांड़ को दौड़ाया तो वह भागने पर मजबूर हुआ। जख्मीं महिला को तुरंत इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया।

ईरानी ने राहुल, प्रियंका पर किया “हमला”


सभा को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कांग्रेस के नेशनल प्रेसीडेंट राहुल गांधी और उनकी बहन प्रियंका गांधी पर जमकर हमला बोला। स्मृति ईरानी ने कहा कि एक बार फिर केंद्र में मोदी सरकार बनेगी। प्रधानमंत्री की अगुवाई में बीजेपी सरकार ने पांच साल में जनता के हितों को ध्यान में रखकर काम किया है।

 

 
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Kanpur Kok Sabha Election 2019 : 75 से अधिक बसंत पार कर चुके Kanpur के सांसद डॉक्टर मुरली मनोहर जोशी “अंगद” की तरह अपने पांव जमाकर Delhi में बैठे हुए हैं। BJP हाईकमान की तमाम कोशिशों (गुपचुप वार्ता) के बाद भी BJP की ये “धरोहर” एक कदम भी पीछे हटने को तैयार नहीं है। मान-मनौव्वल के सारे जतन फेल हो चुके हैं। मुरली मनोहर जोशी झुकने और मानने के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं हैं। बीजेपी की तरफ से लोकसभा प्रत्याशियों की जारी लिस्ट में उनका नाम कहीं से भी नहीं घोषित है। आगे आने वाली सूची में भी उनके नाम की उम्मींद कम ही है। सूत्रों की मानें तो आडवाणी के साथ-साथ बीजेपी ने मुरली मनोहर जोशी को भी टिकट न देने का फैसला करीब-करीब ले लिया है।


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जोशी Kanpur में मनाएंगे गंगा मेला


www.redeyestimes.com के पास जो जानकारी है उसके मुताबिक सांसद मुरली मनोहर जोशी ने होली का त्योहार दिल्ली में मनाया। कार्यकर्ताओं और अपने करीबी लोगों के साथ उन्होंने जमकर रंग और गुलाल उड़ाया। इस दौरान कई करीबी लोगों संग उनकी गोपनीय बैठकें भी हुईं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मुरली मनोहर जोशी के कानपुर आने का प्रोटोकाल आया है। वे 25 मार्च को कानपुर पहुंच रहे है। खास बात ये है कि उनके कानपुर आने के प्रोटोकाल में जाने का कार्यक्रम निर्धारित नहीं है। “यक्ष प्रश्न” ये है कि टिकट कटने के बाद बीजेपी की इस “धरोहर” का अगला कदम क्या होगा ? क्या वे विरोध करेंगे या फिर “बागी” बनेंगे। चर्चाएं ये भी हैं कि टिकट कटने की स्थिति में सांसद मुरली मनोहर जोशी कुछ लोगों के साथ प्रेस कांफ्रेंस भी कर सकते हैं।

नीतू सिंह को लेकर RSS पीछे नहीं हट रही


बैरिस्टर नरेंद्र जीत सिंह की पौत्र वधू नीतू सिंह का नाम RSS ने Final कर करीब 36 घंटे पहले ही बीजेपी संगठन को भेज दिया है। बड़े सूत्रों की मानें तो बीजेपी की तरफ से संडे की रात या फिर मंडे की सुबह औपचारिक ऐलान की बात कही जा रही थी लेकिन अब अंदरखाने से ये खबर है कि कानपुर सीट पर प्रत्याशी की घोषणा 31 मार्च या फिर 2 अप्रैल को हो सकती है। ऐसा मुरली मनोहर जोशी के तेवरों को देखने के बाद किया गया है। ताकि कानपुर में कहीं भी बगावत के सुर न फूटे। वहीं RSS के टॉप दिग्गज नीतू सिंह को लेकर बिल्कुल भी पीछे हटने के मूड में नहीं है। इसके संकेत मुरली मनोहर जोशी को भी दे दिए गए हैं। गौरतलब है कि संघ ने कानपुर की सीट को लेकर पिछले कई महीने से प्रतिष्ठा लगा रखी है।

जोशी से जेपी नड्डा कर चुके हैं मुलाकात


चुनाव शंखनाद के पहले से ही ये कयास लगाए जा रहे थे कि लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कलराज मिश्रा, उमा भारती समेत कई बुजुर्ग नेताओं के टिकट बीजेपी काट सकती है। आडवाणी का टिकट गांधी नगर से काट दिया गया। उमा भारती ने खुद को पीछे कर लिया। कलराज मिश्रा ने भी चुनाव न लड़ने का ऐलान कर दिया। अब बचे हैं कि मुरली मनोहर जोशी। होली के दिन पत्रकारों के सवाल पर जोशी ने कहा था कि वो लड़ने को पूरी तरह से तैयार हैं। उनके तेवर को देख बीजेपी के कई नेता उनको मनाने के लिए कई दिनों से मेहनत कर रहे हैं। कुछ दिन पहले बीजेपी पार्लियामेंट्री बोर्ड के सदस्य और यूपी बीजेपी प्रभारी जेपी नड्डा भी पहुंचे।


श्रीनड्डा ने करीब पौन घंटे तक मुरली मनोहर जोशी से बातचीत की लेकिन जोशी नहीं मानें। चर्चा है कि नड्डा ने यहां तक कह दिया कि आपके करीबी लोगों की वजह से विरोध हो रहा है। सीट फंस सकती है। साथ ही उन्हें कई तरह के ऑफर भी दिए गए है। गौरतलब है कि पांच साल के कार्यकाल में क्षेत्र की जनता को सांसद मुरली मनोहर जोशी कहीं नही दिखे। पूरी राजनीति उनके कुछ "कारखास" टाइप लोगों के ईर्द-गिर्द ही घूमती रही। बीजेपी का आम कार्यकर्ता उनकी पहुंच से काफी दूर था। यही वजह है कि उनका विरोध कानपुर में हो रहा है। कार्यकर्ता भी नहीं चाहते कि टिकट मुरली मनोहर जोशी को दी जाए।

 

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Lok Sabha Election 2019 में कांग्रेस वो हर दांव चल रही है जिससे विरोधी चारो खाने चित्त हो जाएं। कांग्रेस कभी BJP को चोट दे रही है तो कभी BSP को, लेकिन कुछ घंटा पहले ही कांग्रेस ने सपा को भी जख्म दे दिया है। 80 और 90 के दशक में पाठा के जंगलों में आतंक का पर्याय रहे दस्यु सम्राट ददुआ के भाई बाल कुमार को कांग्रेस ने शामिल किया है। बाल कुमार के बांदा-चित्रकूट लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने की बात कही जा रही है।


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मिर्जापुर से सांसद रह चुके हैं बाल कुमार


बाल कुमार ने साल 2002 में बहुजन समाज पार्टी (BSP) ज्वाइन की थी। प्रयागराज जनपद की एक विधान सभा सीट से बाल कुमार ने विधायकी का चुनाव भी लड़ा लेकिन सफलता नहीं मिली। तब ददुआ जिंदा था और पाठा के जंगलों में उसका डंका बज रहा था। वर्ष 2004 में बाल कुमार ने समाजवादी पार्टी ज्वाइन की। सपा के टिकट से बाल कुमार चुनाव लड़े और जीत भी गए। 2014 में बाल कुमार को सपा ने बांदा-चित्रकूट की सीट से प्रत्याशी बनाया लेकिन मोदी लहर के चलते बाल कुमार चुनाव हार गए।

ददुआ का बेटा और भतीजा भी रह चुके हैं विधायक


ददुआ ने अपने जिंदा रहते हैं पूरे परिवार को राजनीति में सक्रिय कर दिया था। ददुआ ने भाई बाल कुमार को सांसद ही नहीं बनवाया, बल्कि उसने बेटे और भतीजे को विधायक भी बनवा दिया था। ददुआ की बसपा और सपा से करीबी सर्वविदित है। इतना ही नहीं बाद में ददुआ का बेटा जिला पंचायत अध्यक्ष भी बना।

बांदा-चित्रकूट लोकसभा से लड़ सकते हैं बाल कुमार


दस्यु सम्राट ददुआ के भाई बाल कुमार के कांग्रेस ज्वाइन करने के बाद बांदा-चित्रकूट लोकसभा से चुनाव लड़ने की संभावना जताई जा रही है। पिछले चुनाव में बाल कुमार यहां से सपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे और तीसरे नंबर पर थे। इससे पहले साल 2009 में बाल कुमार सपा के टिकट पर मिर्जापुर से सांसद बने थे।

 

 
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Lok Sabha Election 2019 : Nagpur और Delhi के बीच फंसी Kanpur Nagar की लोकसभा सीट पर RSS ने अपने नाम की मुहर लगा दी है। Kanpur की नीतू सिंह का नाम Fainal कर RSS ने BJP के शीर्ष नेतृत्व को सौंप दिया है। बताया जा रहा है कि RSS की तरफ से सिंगल नाम BJP संगठन को भेजा गया है। BJP की तरफ से सिर्फ ऐलान की औपचारिकता शेष है। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) और BJP संगठन के बीच कई चक्र की बातचीत के बाद नीतू सिंह के नाम पर सहमित बन सकी। RSS के बड़े पदाधिकारी के मुताबिक Kanpur काली मठिया के पास स्मृति ईरानी की सभा में नीतू सिंह मंच को साझा कर सकती हैं।


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स्वर्गीय बैरिस्टर नरेंद्र जीत सिंह की पौत्र वधू हैं नीतू सिंह


नीतू सिंह राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) के बड़े पदाधिकारी रहे स्वर्गीय बैरिस्टर नरेंद्रजीत सिंह की पौत्र वधू हैं। नीतू सिंह के पति यतींद्र जीत सिंह का निधन हो चुका है। नीतू सिंह की दो बेटियां हैं। बड़ी बेटी बसुंधरा पढ़ाई कर रही हैं। नीतू सिंह यूपी की योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री सत्यदेव पचौरी की बेटी हैं। नीतू सिंह की ससुराल का ताल्लुक कश्मीर से हैं। पैतृक संपत्तियां भी हैं।

उत्तर-पूर्वी के संघ चालक हैं ससुर वीरेंद्र जीत सिंह


यूपी में यदि RSS की बात की जाती है तो उसमें स्वर्गीय बैरिस्टर नरेंद्र जीत सिंह का सबसे ऊपर आता है। उनके निधन के बाद बैरिस्टर साहब के बेटे वीरेंद्र जीत सिंह संघ में बड़े पदों में हमेशा से रहे हैं। वर्तमान में वो यूपी के उत्तर-पूर्वी के संघ चालक हैं। इसके अंतर्गत करीब 40 जिले आते हैं। मेयर के चुनाव में भी नीतू सिंह की टिकट फाइनल हो गई थी लेकिन ऐन वक्त पर परिवारिक वजहों से नीतू सिंह ने अनिच्छा जाहिर की। जिसके बाद प्रमिला पांडेय को बीजेपी ने टिकट दे दिया।

नीतू सिंह का सामाजिक सरोकार


नीतू सिंह दीनदयाल विद्यालय की प्रबंधिका हैं। ज्योति संकल्प संस्थान की डायरेक्टर भी हैं। सनातन धर्म महामंडल की कोषाध्यक्ष हैं। तमाम शिक्षण संस्थानों के प्रबंध समितियों से ताल्लुकात रखती हैं। उल्लेखनीय है कि www.redeyestimes.com (News Portal) करीब तीन सप्ताह पहले प्रकाशित खबर में इस बात का उल्लेख किया था कि RSS की पहली पसंद नीतू सिंह ही हैं। RSS सूत्रों की मानें तो बीजेपी हाईकमान की तरफ से सिर्फ औपचारिक ऐलान ही बाकी है। जो संभव दो दिन के बाद ही होगा।

संघ के बड़े पदाधिकारियों ने कल की थी सत्यदेव पचौरी से मुलाकात


सूत्रों की मानें तो RSS के प्रांत स्तरीय और जिलास्तरीय पदाधिकारी कैबिनेट मंत्री सत्यदेव पचौरी से मुलाकात करने उनके काकादेव स्थित आवास पर पहुंचे थे। तीनों के बीच काफी देर तक गुप्त मंत्रणा हुई। RSS पदाधिकारियों के जाते ही सत्यदेव पचौरी के तमाम समर्थक उनके आवास पर पहुंच गए। सभी कार्यकर्ताओं को विशेष दिशा-निर्देश जारी किए गए। सूत्रों की मानें तो दिशा-निर्देश लोकसभा चुनाव के बाबत ही दिए गए।

 

 

भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने Bihar में अपने हिस्से की 17 लोकसभा सीटों पर प्रत्याशियों के नामों की घोषणा कर दी। राजधानी पटना में आयोजित NDA की साझा प्रेस कॉन्फ़्रेंस में BJP के अलावा बिहार में एनडीए के घटक दल जेडीयू और लोकजनशक्ति पार्टी के भी उम्मीदवारों की घोषणा की गई। 40 में से कुल 39 प्रत्याशियों के नामों का ऐलान किया गया।


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शत्रुघ्न सिन्हा और शाहनवाज का पत्ता साफ


पूर्व केंद्रीय मंत्री शाहनवाज हुसैन का टिकट बीजेपी ने काट दिया है। साथ ही लंबे समय से नरेंद्र मोदी के खिलाफ बोलने वाले शत्रुघ्न सिन्हा का टिकट काटने के बाद उनकी जगह केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद को टिकट दी गई है।

गिरिराज सिंह को बेगूसराय से टिकट


विवादों बयान के लिए मशहूर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह को बीजेपी ने नवादा से टिकट न देकर उन्हें बेगूसराय से प्रत्याशी बनाया है। यहां उनका मुकाबला JNU के पूर्व प्रेसीडेंट कन्हैया कुमार से होना तय माना जा रहा है। केंद्रीय मंत्री आरके सिंह आरा से और बक्सर से अश्विनी चौबे ही मैदान में होंगे। पाटिल पुत्र से रामकृपाल और पटना साहिब से रविशंकर प्रसाद होंगे प्रत्याशी।

 

 

CEC (केंद्रीय चुनाव समिति) की तीन दिन की “मैराथन” मीटिंग के बाद BJP हाईकमान ने 184 लोकसभा प्रत्याशियों की पहली लिस्ट Final कर जारी कर दी। पार्लियामेंट्री बोर्ड के सदस्य जेपी नड्डा ने मीडिया के साथ बातचीत में पत्रकारों के साथ प्रत्याशियों की पहली सूची साझा की। PM नरेंद्र मोदी अपनी संसदीय सीट वाराणसी से चुनाव लड़ेंगे। BJP प्रेसीडेंट अमित शाह गुजरात के गांधी नगर से चुनाव लड़ेंगे। यहां से पहले लालकृष्ण आडवाणी चुनाव लड़ते थे। गृहमंत्री राजनाथ सिंह एक बार फिर Lucknow से मैदान में होंगे। नितिन गडकरी नागपुर से प्रत्याशी बनाए गए हैं। बीजेपी की इस सूची में छत्तीसगढ़ के पांच प्रत्याशियों के नाम हैं। पहली सूची में UP के 20 प्रत्याशियों के नामों का ऐलान किया गया है। इसमें 6 सांसदों का टिकट कटा है।


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लालकृष्ण आडवाणी गांधी नगर से "Out"

लालकृष्ण आडवाणी का नाम इस बार गांधी नगर से नहीं है। गुजरात की इस सीट से लगातार आडवाणी सांसद बनते रहे हैं। हर बार चुनाव में उनका नाम पहले नंबर पर रहता था लेकिन इस बार गांधी नगर की सीट से बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को बीजेपी ने प्रत्याशी बनाया है।

https://twitter.com/ANI/status/1108730778530340865

Unnao से साक्षी महाराज की टिकट पर मुहर

पार्लियामेंट्री बोर्ड के सदस्य जेपी नड्डा ने प्रेस वार्ता के दौरान बताया कि उन्नाव के सांसद साक्षी महाराज को एक बार फिर से बीजेपी ने अपना प्रत्याशी बनाया है। उल्लेखनीय है कि टिकट कटने की आशंका के मद्देनजर साक्षी महाराज ने तमाम बयान दे दिए थे। उनके टिकट कटने की तमाम अटकले मीडिया में लगाई जा रही थीं।

https://twitter.com/ANI/status/1108733978150928384

अमेठी से स्मृति ईरानी, मथुरा से हेमा मालिनी को फिर टिकट

बीजेपी ने यूपी की VIP सीट से केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को एक बार फिर से प्रत्याशी बनाया है। उनके सामने कांग्रेस के नेशनल प्रेसीडेंट राहुल गांधी होंगे। 2014 के चुनाव में स्मृति ईरानी चुनाव लड़ी थीं लेकिन राहुल गांधी से वे हार गई थीं। बीजेपी ने मथुरा संसदीय सीट से हेमा मालिनी को फिर उम्मींदवार घोषित किया है। हेमा मालिनी यहां से सांसद हैं। संतोष गंगवार को बरेली से प्रत्याशी बनाया गया है।

https://twitter.com/ANINewsUP/status/1108742231840575489

बदांयू से स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी को टिकट

स्वामी प्रसाद मौर्या अपनी बेटी संघमित्रा के लिए बदायूं से टिकट ले आये यूपी में मंत्री एसपी सिंह बघेल ब्रज क्षेत्र में मुख्या भूमिका में लाये गए, उन्हें आगरा से कैंडिडेट बनाया गया, बघेल कभी मुलायम सिंह के कमांडो हुआ करते थे।

UPDATE------

BJP के 184 प्रत्याशियों की पूरी लिस्ट










 





 

CEC (केंद्रीय चुनाव समिति) की “मैराथन” मीटिंग के बाद BJP हाईकमान ने लोकसभा प्रत्याशियों के 250 नामों पर सहमति जताते हुए First List करीब-करीब Final कर ली है। ये लिस्ट अगले कुछ घंटों में जारी हो सकती है। शाम 7 बजे 184 प्रत्याशियों के नामों का ऐलान भी पार्लियामेंट्री बोर्ड के सदस्य जेपी नड्डा ने कर दिया। लेकिन UP की Kanpur लोकसभा सीट को लेकर “शह-मात” का “खेल” Start है। Portal के सूत्रों की मानें तो कानपुर की सीट Nagpur और Delhi के बीच फंसी है। ब्राम्हण कार्ड खेलने का मन बना चुका BJP हाईकमान किसी लोकल नेता को प्रत्याशी बनाता है या फिर "SKY LAB" को टिकट देता है ? ये बड़ा "यक्ष प्रश्न" है। www.redeyestimes.com (News Portal) के पास बड़े सूत्रों से जो जानकारी हैं उसके मुताबिक शहर के एक बड़े और चर्चित होटल कारोबारी का भी नाम चर्चा में है। इस होटल कारोबारी के तार BJP के सभी बड़े नेताओं से हैं। BJP के नेशनल प्रेसीडेंट अमित शाह, ओम माथुर, सुनील बंसल समेत सभी कद्दावर नेताओं से इस होटल कारोबारी के बेहतर रिश्ते हैं। ये होटल कारोबारी ब्राम्हण वर्ग से आते हैं। इतना ही नहीं Bihar (JDU) समेत तमाम राजनीतिक दल के नेताओं से भी होटल कारोबारी के काफी गहरे संबध हैं। जानकारों की मानें तो ये होटल कारोबारी BJP के एक MLA के रिश्तेदार हैं। यूपी की Yogi सरकार में मंत्री अर्चना पांडेय के पिता के जरिए होटल कारोबारी ने राजनीति का "ककहरा" सीखा है।


[caption id="attachment_19106" align="alignnone" width="1199"] CEC की मीटिंग में शामिल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी के नेशनल प्रेसीडेंट अमित शाह।[/caption]

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[caption id="attachment_19105" align="alignnone" width="720"] सतीश महाना (कैबिनेट मिनिस्टर यूपी सरकार)[/caption]

BJP कार्यकर्ताओं की पहली पसंद हैं महाना


Kanpur (BJP) के कार्यकर्ताओं की पहली पसंद सतीश महाना हैं लेकिन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) की पसंद कोई और ही है। बड़े सूत्रों की मानें तो अभी तक प्रत्याशिता की दौड़ में नंबर-1 चले रहे सतीश महाना पीछे होते दिखाई दे रहे हैं। सतीश महाना को पीछे करने के लिए दिग्गजों ने “ब्राम्हण कार्ड” की चाल चल दी है। तर्क दिए जा रहे हैं कि ब्राम्हण बाहुल्य सीट पर किसी ब्राम्हण चेहरे को ही उतारा जाए। यही वजह है कि महाना रेस में पीछे हो गए। हालांकि कुछ दिन पहले ही कुछ टीवी चैनलों में महाना को प्रत्याशी बनाए जाने की खबरें चलीं थीं। चर्चा है कि इसके बाद से ही “शह-मात” का खेल शुरु हो गया।

RSS के एक बड़े दिग्गज कर रहे लामबंदी


सतीश महाना की जगह अपने करीबी को टिकट दिलाने के लिए RSS के एक बड़े दिग्गज दिल्ली से लेकर नागपुर तक लामबंदी किए हैं। बड़े सूत्रों की मानें तो इस “शह-मात” के इस “खेल” में पीछ से बैकिंग वर्तमान सांसद मुरली मनोहर जोशी की भी मिल रही है। संघ के इस दिग्गज ने करीबी के लिए पूरी प्रतिष्ठा लगा रखी है।

सलिल विश्नोई के पक्ष में है संगठन के ताकतवर पदाधिकारी


कानपुर से बीजेपी के पूर्व विधायक सलिल विश्नोई अभी भी रेस में बने हुए हैं। संगठन के एक ताकतवर पदाधिकारी के साथ-साथ RSS के भी कई कद्दावर सलिल की पैरवी कर रहे हैं। सलिल वर्तमान में बीजेपी के प्रदेश महामंत्री होने के साथ-साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के प्रभारी भी हैं। जानकारों की मानें तो वाराणसी का प्रभारी होने की वजह से भी सलिल को लाभ मिल सकता है। सूत्रों का कहना है कि ब्राम्हण कार्ड वाले समीकरण में सलिल विश्नोई भी बाहर हो सकते हैं।

अकबरपुर शिफ्ट हो सकते हैं महाना


अकबरपुर लोकसभा सीट से वर्तमान सांसद देवेंद्र सिंह भोले के लिए सबसे बड़े मुसीबत बिठूर से बीजेपी विधायक अभिजीत सिंह सांगा बने हुए हैं। सांगा की दावेदारी काफी तगड़ी है। वहीं भाई की तरफ से रुपए के लेनदेन का Video Viral देवेंद्र सिंह भोले सिंह भोले और उनके पैरोकार बैकफुट पर हैं। हाईकमान का मानना है कि इन दोनों में यदि किसी को टिकट दी गई तो भीतरघात पक्की है। ऐसे में ये सीट बीजेपी हार भी सकती है। सूत्रों की मानें तो यदि कानपुर से ब्राम्हण प्रत्याशी का ऐलान किया गया तो अकबरपुर सीट पर सतीश महाना को भी बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व प्रत्याशी बना सकता है। सतीश महाना की विधान सभा महाराजपुर (अकबरपुर लोकसभा के अंतर्गत) आती है। शहर की बिठूर और कल्याणपुर विधान सभाएं भी इसी लोकसभा के अंतर्गत हैं।


नोट----Portal के सूत्रों की मानें तो Delhi & Nagpur की प्रतिष्ठा में फंसी कानपुर लोकसभा सीट पर प्रत्याशी के नाम का ऐलान संभव है कि पहली लिस्ट में न हो। विवाद की स्थित से बचने और "अपनों" के दूसरे दलों में शामिल होने की आशंका के मद्देनजर हाईकमान मार्च के अंत में Kanpur प्रत्याशी के नाम की घोषणा कर सकता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक First List में UP से 35 प्रत्याशियों के नामों की घोषणा होने की बात कही जा रही है।

Lok Sabha Election 2019 : BJP की केंद्रीय चुनाव कमेटी (CEC) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में मंगलवार देर रात तक लोकसभा प्रत्याशियों का नाम Final करने के लिए “महामंथन” किया। चर्चा है कि बीजेपी अपने “मार्गदर्शक मंडल” के लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी को चुनाव नहीं लड़ाएगी। मुरली मनोहर जोशी Kanpur से और आडवाणी गुजरात से सांसद हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक UP में बीजेपी करीब दो दर्जन सांसदों का टिकट करीब-करीब काट चुकी है, सिर्फ घोषणा का ऐलान होना बाकी है। इसमें जूता कांड को लेकर चर्चा में आए खलीलाबाद के सांसद शरद त्रिपाठी का नाम भी बताया जा रहा है।


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[caption id="attachment_19102" align="alignnone" width="720"] मंगलवार देर रात तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी प्रेसीडेंट अमित शाह की मौजूदगी में केंद्रीय चुनाव समिति (CEC) की मीटिंग हुई।[/caption]

BJP प्रेसीडेंट रह चुके हैं मुरली मनोहर जोशी


बीजेपी के “मार्गदर्शक मंडल” में शामिल मुरली मनोहर जोशी वर्तमान में कानपुर से सांसद हैं। वे इलाहाबाद और वाराणसी से भी सांसद रह चुके हैं। बीजेपी की तीन धरोहरों में एक मुरली मनोहर जोशी बीजेपी के नेशनल प्रेसीडेंट रह चुके हैं। वे अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार में कैबिनेट मिनिस्टर भी रहे हैं। खबर है कि CEC की मीटिंग में आडवाणी को भी चुनाव न लड़ाने का फैसला करीब-करीब लिया जा चुका है।

कौन होगा Kanpur से लोकसभा प्रत्याशी ?


यूं तो कानपुर से करीब आधा दर्जन नेताओं ने लोकसभा की प्रत्याशिता को लेकर दावेदारी कर रखी है लेकिन पलड़ा सतीश महाना का काफी भारी नजर आ रहा है। केंद्र के दो ताकतवर मंत्री से लेकर यूपी के मुख्यमंत्री तक उनकी पैरवी कर रहे हैं। वहीं, सलिल विश्नोई भी बीजेपी के संगठन मंत्री समेत RSS  पदाधिकारियों के जरिए प्रत्याशिता की लड़ाई में बने हुए हैं। बाकी नामों पर हाईकमान गंभीर नहीं है। खबर ये भी है कि यदि सबकुछ ठीक नहीं रहा तो बीजेपी किसी VIP को अंत में Kanpur से उतार सकती है।


वाराणसी से मोदी, अमेठी से स्मृति ईरानी लड़ेंगी चुनाव


CEC की बैठक के बाद जो खबरें बाहर आ रही हैं उसके मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाराणसी से ही चुनाव लड़ेंगे। गृहमंत्री राजनाथ सिंह लखनऊ और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी अमेठी में कांग्रेस प्रेसीडेंट राहुल गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ेंगी।

 इन दिग्गजों का टिकट कटने की है चर्चा


मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बीजेपी विधायक पर जूता चलाने वाले संतकबीर नगर (खलीलाबाद) के सांसद शरद त्रिपाठी, पड़ोसी जनपद बस्ती के सांसद हरीश दिवेदी, घोषी के सांसद हरिनारायण सिंह राजभर का टिकट कट चुका है। चर्चा उन्नाव के सांसद साक्षी जी महाराज, अकबरपुर सांसद देवेंद्र सिंह भोले, समेत मिश्रिख, हरदोई, समेत करीब 23 सांसदों के टिकट का पत्ता साफ होने की है। इसमें इलाहाबाद के सांसद श्यामाचरण गुप्ता सपा ज्वाइन कर चुके हैं जबकि बहराइच की सांसद सावित्री बाई फुले कांग्रेस में शामिल हो चुकी हैं।

छत्तीसगढ़ के 10 सांसदों के टिकट कटे


CEC की मीटिंग के बाद बीजेपी के महासचिव और प्रदेश प्रभारी अनिल जैन ने मीडिया को बताया कि लोकसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ के सभी 10 मौजूदा सांसदों की जगह नए चेहरों को टिकट दिया जाएगा। गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ के विधान सभा चुनाव में बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ा था और यहां पर कांग्रेस ने प्रचंड बहुमत के साथ सरकार बनाई है।

देर शाम आ सकती है प्रत्याशियों की पहली लिस्ट


बीजेपी के लोकसभा प्रत्याशियों की पहली लिस्ट संडे को आनी थी लेकिन गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर परिर्कर के निधन की वजह से विलंब हो गया। इसके बाद मंगलवार को भी देर रात तक लिस्ट के जारी होने की चर्चा थी लेकिन हाईकमान ने उसे टाल दिया। माना जा रहा है कि देर रात तक बीजेपी पहली सूची जारी कर सकती है। लेकिन www.redeyestimes.com सूत्रों की मानें तो आज भी बीजेपी लिस्ट नहीं जारी करेगी। संभव है कि होली त्योहार के बाद बीजेपी प्रत्याशियों की सूची जारी करे।

 

 

 

Uttar Pradesh (BJP) के प्रेसीडेंट डॉ. महेंद्र पांडेय की भतीज बहू अमृता पांडेय मंगलवार को अचानक मीडिया की सुर्खियों में तब आ गई, जब उन्होनें Priyanka Gandhi की मौजूदगी में Congress ज्वाइन करने का ऐलान कर दिया। सोशल मीडिया में ये खबर फैली तो तमाम दिग्गज पत्रकार और राजनीतिज्ञ भी हक्का-बक्का रह गए। वजह भी ऐसी ही कुछ थी। चूंकि तब तक किसी को पता नहीं था कि अमृता पांडेय आखिर कौन है ? महेंद्र पांडेय की एक बेटी है वो भी काफी छोटी है। ऐसे में उनकी बहू कहां से आ गई ? ये “यक्ष प्रश्न” सबसे बड़ा था। देर शाम तक अमृता के बारे में तमाम जानकारियां मीडिया में आने लगीं। जी, हां अमृता का मायका पुराना कांग्रेसी है। इतना ही नहीं मिर्जापुर और कानपुर से भी उनका खास कनेक्शन है। अमृता के भाई कांग्रेस के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं।


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जितेंद्र नाथ पांडेय की पुत्रवधू हैं अमृता पांडेय

अमृता पांडेय बीजेपी (यूपी) प्रेसीडेंट महेंद्र नाथ पांडेय के बड़े भाई जितेंद्र नाथ पांडेय के लड़के की पत्नी हैं। उनका मायका पक्ष पुराना कांग्रेसी है। उनके बाबा कमलापति त्रिपाठी 80 के दशक में केंद्रीय मंत्री रहे हैं। अमृता के खून में ही कांग्रेस बसा है। शायद यही वजह रही है कि कांग्रेस ज्वाइन करने से पहले उन्होंने बीजेपी पर काफी आक्रमक तरीके से प्रहार भी किया। अमृता संभवतः बुधवार को वाराणसी में प्रियंका की मौजूदगी में कांग्रेस ज्वाइन करेंगी।

https://twitter.com/DwijeshPati/status/1107962833143119872

क्या है अमृता का कानपुर-मिर्जापुर कनेक्शन

अमृता पांडेय का कानपुर और मिर्जापुर से गहरा नाता है। मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो अमृता के बड़े भाई ललितेश पति त्रिपाठी कांग्रेस के टिकट पर मिर्जापुर से लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं। ललितेश पति त्रिपाठी कमला पति त्रिपाठी के पौत्र और राजेश पति त्रिपाठी के बेटे हैं। ललितेश पति त्रिपाठी की बुआ कानपुर में कांग्रेस की बड़ी नेत्री है। बुआ का नाम ऊषा रत्नाकर शुक्ला है। ऊषा रत्नाकर कानपुर में सपा के टिकट पर काफी पहले मेयर का चुनाव भी लड़ चुकी हैं।

[caption id="attachment_19098" align="alignnone" width="1024"] अमृता पांडेय से मीटिंग के लिए नाव के जरिए चुनार जाती प्रियंका गांधी, साथमें सेल्फी लेते कांग्रेस प्रत्याशी ललितेश पति त्रिपाठी।[/caption]

विधायक रह चुके हैं ललितेश पति त्रिपाठी

मिर्जापुर में ललितेश पति त्रिपाठी पहचान के मोहताज नहीं है। सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहने वाले ललितेश पति को राहुल का करीबी माना जाता है। ललितेश पति त्रिपाठी इससे पहले विधायक रह चुके हैं। कांग्रेस ने उनका नाम पहली ही लिस्ट में फाइनल कर प्रत्याशी बनाया है। यहां पर ललितेश का चुनाव काफी रोचक हो चुका है। प्रियंका गांधी ने उनकी लोकसभा में काफी समय दिया है। देर रात वे नाव के जरिए ललितेश को लेकर कई बस्तियों में जनसंपर्क को भी निकली हैं।


भाई को सांसद बनाने के लिए अमृता ने ज्वाइन की कांग्रेस

खबरों की मानें तो अपने भाई को सांसद बनाने के लिए अमृता ने काफी पहले ही कांग्रेस ज्वाइन करने का मन बना लिया था। प्रियंका के दौरे पर पहुंचते ही उन्होंने कांग्रेस में शामिल होने का ऐलान भी कर दिया। देर शाम मिर्जापुर के चुनार में उनकी प्रियंका के साथ मीटिंग भी हो गई। सूत्रों की मानें तो कांग्रेस अमृता को यूपी में बड़ा पद भी दे सकती है। माना ये भी जा रहा है कि विधान सभा चुनाव में अमृता को विधान सभा का टिकट देने का आश्वासन भी कांग्रेस ने कर दिया है। राजनीति के जानकारों की मानें तो अमृता के कांग्रेस ज्वाइन करने से मिर्जापुर और आसपास के एरिया में बड़ा मैसेज गया है। जहां कांग्रेस को मजबूती मिली है तो वहीं दूसरी तरफ बीजेपी के तमाम नेता और कार्यकर्ता सकते में हैं।

 

 

 

 
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Lok Sabha Election 2019 : कांग्रेस की जनरल सेकेट्री Priyanka Gandhi के सक्रिय राजनीति में कदम रखते ही "कोमा" में पड़ी कांग्रेस को मानों "संजीवनी" मिल गई है। बीजेपी, सपा और बसपा के कई कद्दावर नेता कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं। खबर आ रही है कि कांग्रेस ने UP BJP के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय के घर में भी “सेंधमारी” करने जा रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक महेंद्र पांडेय के बड़े भाई की पुत्रवधू अमृता पांडेय जल्द ही कांग्रेस का हाथ थाम सकती हैं।


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आज शाम को 5 बजे होनी है प्रियंका के साथ Meeting


बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर महेंद्र नाथ पांडेय के भाई की पुत्रवधू अमृता पांडेय को लेकर मीडिया में जो चर्चाएं हैं उसके मुताबिक मंगलवार शाम करीब पांच बजे मिर्जापुर के चुनार में उनकी मीटिंग प्रियंका गांधी के साथ तय है। सूत्रों की मानें तो अमृता ने कांग्रेस ज्वाइन करने का फैसला कर लिया है। खबर है कि बुधवार को वो कांग्रेस ज्वाइन कर सकती हैं।

भविष्य कांग्रेस का है : अमृता पांडेय


कांग्रेस ज्वाइन करने के फैसले पर अमृता पांडेय का कहना है कि गांधी परिवार और कांग्रेस पार्टी से पुराना नाता रहा है। चूंकि अब प्रियंका गांधी सक्रिय राजनीति में आ गई हैं, इस लिए उन्होंने कांग्रेस ज्वाइन करने का फैसला लिया है। अमृता पांडेय ने कहा कि आने वाला समय नरेंद्र मोदी का नहीं बल्कि कांग्रेस का है। नरेंद्र मोदी अगला चुनाव लड़ेंगे भी कि नहीं ये तय नहीं है। लिहाजा, आगे का राजनीतिक भविष्य कांग्रेस का है। इसीलिए हमने कांग्रेस के साथ जाने का निर्णय लिया है।

अमृता का मायका है पुराना कांग्रेसी


मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अमृता पांडेय का ससुराल पूरी तरह से बीजेपी की विचारधारा से जुड़ा है। लेकिन उनके मायके का कांग्रेस से पुराना नाता रहा है। अमृता कहती हैं कि बीजेपी ने ब्राह्मण ही नहीं बल्कि सभी समाज के लोगों को ठगने का काम किया है। युवा, किसान और व्यापारी सभी परेशान है। चुनाव लड़ने के सवाल पर अमृता पांडेय ने कहा कि कांग्रेस पार्टी जो भी फैसला करेगी, उसे हम स्वीकार करेंगे। लेकिन फिलहाल प्रियंका गांधी के साथ मिलकर काम करना हमारा मकसद है।

अब तक ये नेता ज्वाइन कर चुके हैं कांग्रेस


कांग्रेस में शामिल होने का सिलसिला चुनावी तारीख घोषित होने के पहले ही शुरु हो चुका है। बुन्देलखंड में बीएसपी की लंबे समय तक राजनीति करने वाले पूर्व सांसद ब्रजलाल खाबरी काफी पहले ही कांग्रेस का दामन थाम चुके है। बीएसपी की पूर्व सांसद केसरजहां, फतेहपुर के पूर्व सांसद राकेश सचान, बहराइच की वर्तमान सांसद सावित्री फुले, समेत करीब दर्जन भर विपक्षी दलों के नेता कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं। इसमें कई को टिकट भी मिल चुकी है।

 

 

Ganga Yatra पर निकलीं कांग्रेस की जनरल सेकेट्री और यूपी पूर्वी की प्रभारी Priyanka Gandhi Vadra के निशाने पर केंद्र की मोदी सरकार रही। प्रियंका ने जनता के बीच काफी तीखे हमले केंद्र सरकार पर किए। "उन्होंने कहा कि 70 साल में कांग्रेस ने क्या किया ? आखिर यह कब तक चलेगा ? यह कहने की कोई एक्सपायरी डेट है कि नही ? अब यह सब बंद होना चाहिए। अब तो इस सरकार की एक्सपायरी डेट पूरी हो चुकी है"। सीतामढ़ी में गेस्ट हाउस से मंदिर जाते समय प्रियंका ने मीडिया के साथ बातचीत के दौरान कहा कि Modi सरकार से हर तबका आजिज आ चुका है। बुनकर हों या किसान, स्टूडेंट्स हो या फिर बेरोजगार सभी परेशान हैं। प्रियंका गांधी ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार अब जनता को बताए कि आखिर उन्होंने पांच वर्ष के कार्यकाल में क्या किया है ?


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56 इंच का सीना बेरोजगारों को रोजगार क्यों नहीं दे रहा ?


मंगलवार को दूसरे दिन Ganga Yatra पर निकलीं प्रियंका गांधी मोदी सरकार पर काफी आक्रमक रहीं। उन्होंने कहा कि देश में बेरोजगारों के पास रोजगार नहीं है। मंहगाई और भ्रष्टाचार चरम पर पहुंच चुका है। नाम लिए बगैर प्रियंका ने मोदी पर हमला बोलते हुए कहा कि आखिर ये 56 इंच का सीना बेरोजगारों को रोजगार क्यों नहीं दे रहा है ? उन्होने कहा कि युवाओं को बरगलाया जा रहा है। ये अब नहीं चलेगा। बेरजोगारों को रोजगार देना ही पड़ेगा।

https://twitter.com/ANINewsUP/status/1107885807514341376

प्रियंका करेंगी मां विंध्याचल के दर्शन


सीतामढ़ी में माता जी के दर्शन करने के बाद प्रियंका गांधी का अगला पड़ाव मिर्जापुर में होगा। मिर्जापुर में वो कांग्रेस प्रत्याशी ललितेश पति त्रिपाठी के समर्थन में जनसभाओं के साथ मां विंध्याचल देवी के दर्शन भी करेंगी। साथ ही वो एक दरगाह पर भी जाएंगी।

 “मैं भी चौकीदार” अभियान पर सोमवार को कसा तंज


सोमवार को कांग्रेस की जनरल सेकेट्री प्रियंका गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “मैं भी चौकीदार” अभियान पर तंज कसते हुए कहा था कि “गरीब नहीं बल्कि अमीर लोग चौकीदार रखते हैं”। प्रयागराज में स्थानीय लोगों के साथ बातचीत करते हुए प्रियंका गांधी ने कहा, ‘उनकी (पीएम की) अपनी मर्जी है कि वे अपने नाम के आगे क्या लगाते हैं। लेकिन मुझे एक किसान भाई ने कहा कि चौकीदार तो अमीर लोगों के होते हैं। हम किसान तो अपने चौकीदार खुद होते हैं।’

हरियाणा के Minister ने कहा, कांग्रेसी नाम के आगे लिखें “पप्पू”


चुनाव के शंखनाद के साथ ही राजनीतिक दलों के नेताओं और मंत्रियों के बीच जुबानी जंग शुरु हो चुकी है। केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा के बाद मंगलवार को हरियाणा के चर्चित मंत्री अनिल विज ने एक विवादित बयान देते हुए कहा कि जिन कांग्रेसियों को “मैं भी चौकीदार” से तकलीफ हो रही है वो अपने नाम के आगे “पप्पू” लिख लें।

 

 

Lok Sabha Election 2019 : भारतीय जनता पार्टी (BJP) में टिकट को लेकर काफी मारामारी है। शायद यही वजह है कि BJP हाईकमान अभी तक प्रत्याशियों की पहली लिस्ट भी Final नहीं कर सका है। कार्यकर्ता से लेकर क्षेत्र की जनता तक परेशान है कि आखिर कौन होगा उनका प्रत्याशी ? UP की VIP लोकसभा सीट इत्रनगरी कन्नौज से कौन होगा BJP का "सेनापति" ? यह अभी तक पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है। क्या बीजेपी पिछली बार सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री Akhilesh Yadav की धर्मपत्नी Dimple Yadav को कड़ी टक्कर देने वाले शेर-ए-कन्नौज के नाम से चर्चित सुब्रत पाठक पर फिर से दांव लगाएगी या फिर किसी और चेहरे को "चुनावी रणभूमि" में उतारेगी ? इसकी तस्वीर अभी तक साफ नहीं है।सिर्फ और सिर्फ कयासों का दौर चल रहा है। www.redeyestimes.com से बातचीत में सुब्रत पाठक ने कहा कि "बीजेपी का सिपाही हूं। जहां से टिकट मिलेगा मैं वहीं से पूरी निष्ठा के साथ चुनाव लड़ूंगा"। उल्लेखनीय है कि सुब्रत पाठक को लेकर तमाम तरह की चर्चाएं इन दिनों सोशल मीडिया में चल रही हैं।


[caption id="attachment_18926" align="alignnone" width="188"] Avinash Tiwari (Chhote Tiwari)[/caption]

सोशल मीडिया में Kanpur से भी चुनाव लड़ने की चर्चाएं


सुब्रत पाठक भारतीय जनता युवा मोर्चा (BJYM) के पूर्व प्रेसीडेंट रह चुके हैं। वर्तमान में वे बीजेपी के प्रदेश मंत्री हैं। साथ ही वे संगठन मंत्री सुनील बंसल के बेहद करीबी लोगों में भी हैं। सुब्रत पाठक के लिंक डायरेक्ट अमित शाह से भी हैं। पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया में उनके कानपुर नगर की सीट से चुनाव लड़ने की चर्चाएं सोशल मीडिया में काफी जोर-शोर से हैं। इससे पहले उनके झांसी से चुनाव लड़ने की चर्चाएं थीं लेकिन वहां से किसी और को टिकट दिए जाने की खबरें आ रही हैं। Portal से बातचीत में सुब्रत पाठक ने कानपुर से चुनाव लड़ने के सवाल पर स्पष्ट जवाब नहीं दिया। उन्होंने कहा कि बीजेपी जहां से चुनाव लड़ाएगी वो लड़ने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। कन्नौज से क्या चुनाव लड़ेंगे ? के सवाल भी भी उनका जवाब गोलमोल ही रहा।

Kanpur में सुब्रत के समर्थकों की लंबी फौज


जानकार सूत्रों की मानें तो Kanpur में सुब्रत पाठक के समर्थकों की संख्या काफी है। जब वे युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष थे तो उस दौरान छात्रसंघ की राजनीति से जुड़े कई चर्चित नेता उनके काफी करीबी हो गए। अब वही लोग सुब्रत पाठक को कानपुर से चुनाव लड़ाने के लिए लामबंदी कर रहे हैं। सोशल मीडिया में उनको प्रत्याशी बनाए जाने की खबरें भी कई दिनो से चल रही हैं। उसके पीछे कई वजह हैं। पहली यह कि यहां से बीजेपी मुरली मनोहर जोशी को रिपीट करने के मूड में नहीं है। दूसरा यह कि कानपुर से दावेदारों की लंबी फौज है। तीसरी वजह ये है कि भाजपा भी "SKY LAB" (बाहरी और चर्चित) को चुनाव लड़ाने की ठान चुकी है। इसमें करीब नौ लोगों के नाम शामिल हैं। इन नौ लोगों में एक नाम सुब्रत पाठक का भी बताया जा रहा है। सुब्रत का दावा इस लिए भी मजबूत है कि ब्राम्हण होने के साथ-साथ कानपुर में उनके समर्थक भी ठीक-ठाक संख्या में हैं।

इत्रनगरी से लड़ने के मूड में नहीं हैं सुब्रत


सूत्रों की मानें तो सुब्रत पाठक खुद भी कन्नौज से लड़ने के मूड में नहीं हैं। प्रदेश नेतृत्व भी उनको कन्नौज की जगह किसी और VIP सीट से चुनाव लड़ाने के मूड में है। कन्नौज से चुनाव न लड़ने के पीछे कई वजहें भी हैं। पहली वजह पिछला चुनाव है। पहली वजह पिछले चुनाव में जीतकर "हार" जाना भी शामिल है। सुब्रत को भी पता है कि डिंपल यादव को चुनाव जिताने के लिए सपा साम-दाम-दंड-भेद की नीति अपनाएगी। जो कि वो पिछली बार भी कर चुकी है। यही वजह है कि सुब्रत कन्नौज के बदले किसी और वीआइपी सीट चाह रहे हैं। जिसमें कानपुर नगर, झांसी और अकबरपुर की सीट भी शामिल हैं। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो सुब्रत पाठक का चुनाव लड़ना तो पक्का है लेकिन कहां से वे चुनाव लड़ेंगे ये "पक्का" नहीं है।

[caption id="attachment_19014" align="alignnone" width="695"] डिंपल यादव (लोकसभा प्रत्याशी कन्नौज, सपा)[/caption]

कन्नौज से Dimple Yadav फिर होंगी सपा प्रत्याशी


कन्नौज लोकसभा सीट से सपा सुप्रीमों अखिलेश यादव ने एक बार फिर से अपनी धर्मपत्नी डिंपल यादव को प्रत्याशी बनाया है। हालांकि इस बार चुनाव काफी दिलचस्प होगा। उसकी वजह शिवपाल सिंह की प्रगतिशील पार्टी बताई जा रही है। सूत्रों की मानें तो शिवपाल सिंह यहां से शराब का अवैध कारोबार करने वाली एक चर्चित महिला के पति को टिकट दे सकते हैं। एक खास एरिया में इस महिला का काफी प्रभाव है। प्रगतिशील पार्टी के प्रत्याशी से सपा को नुकसान होना तय बताया जा रहा है। तो वहीं बीजेपी की राह में शिवसेना कांटा बोने के बेताब है। खबर है कि यहां से शिवसेना की तरफ से चुनाव लड़ने का दावा ठोंक रहे प्रत्याशी ने होर्डिंग-बैनर से चुनाव जंग छेड़ दी है।

 

 

 

 

 

 

 

 

 
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देश के PM नरेंद्र मोदी ने Twitter पर अपना नाम बदल लिया है। उनका नया नाम “Chowkidar Narendra Modi” है। उनके नाम बदलते ही बीजेपी के कई बड़े नेताओं ने भी Twitter पर अपना नाम बदल लिया है। इसमें बीजेपी प्रेसीडेंट अमित शाह और Modi कैबिनेट के Minister पियूष गोयल शामिल हैं। दोनों ने ट्वीटर पर अपना नाम “चौकीदार अमित शाह” और “चौकीदार पियूष गोयल” कर लिया है। वहीं, अब छोटे तबके के नेता भी इसे ट्रेंड में ला रहे हैं। हालांकि विपक्ष का कहना है कि ये सबकुछ देश के बड़े मुद्दों, राफेल, मंहगई, पेट्रोलियम वृद्धि, नौकरियां, रोजगार जैसे मुद्दों से जनता को गुमराह करने की कोशिश है। बीजेपी लंबे समय से देश की जनता को गुमराह कर रही है लेकिन लोग अब बहकावे में आने वाले नहीं हैं।


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अखिलेश यादव बोले, चायवाला की पोस्ट खाली हो गई


एक टीवी चैनल के कार्यक्रम में यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री ने हंसते हुए कहा कि “अब चायवाला की पोस्ट खाली हो गई है, मैं अपना नाम चायवाला रख लेता हूं। दूध वाला तो मैं पहले से ही था” । पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि बीजेपी की हकीकत अब जनता के सामने आ चुकी है। श्रीयादव ने कहा कि असली चौकीदार तो किसान हैं। जो मवेशियों से अपने खेतों की रक्षा करने के लिए रात-रात भर चौकीदारी करने को मजबूर हैं।

राहुल गांधी के हमले से बैकफुट पर थी बीजेपी


राफेल मुद्दे को लेकर कांग्रेस के प्रेसीडेंट राहुल गांधी लगातार केंद्र की बीजेपी सरकार पर हमलावर हैं। ट्वीटर पर “चौकीदार चोर है” खूब ट्रेंड कर रहा है। राहुल जिस रैली या कांफ्रेस में होते हैं, वहां “चौकीदार चोर” का नारा लगवाते हैं। राहुल के इस राजनीतिक हमले की वजह से बीजेपी और उसके नेता पिछले कई महीने से बैकफुट पर थे। राजनीति के जानकारों की मानें तो अपने नाम के आगे चौकीदार नरेंद्र मोदी लिखकर प्रधानमंत्री जनता की सहानुभित बटोरने के साथ उसे जोड़ने चाहते हैं। जानकारों की मानें तो पांच साल बाद हो रहे लोकतंत्र के बड़े पर्व (लोकसभा चुनाव) के अहम मुद्दों से जनता को भटकाने की यह कोशिश है। क्या चौकीदार और चायवाला ही मुद्दे हैं। गरीबी, मंहगाई, नोटबंदी, जीएसटी, नौकरी, अर्थव्यवस्था जैसे गंभीर मुद्दों को गायब करने की यह एक कोशिश है।

सत्ता के करीबी पत्रकार भी बोलने लगे मैं भी चौकीदार हूं


देश की राजनीति किस कदर गंदी हो चुकी है। समाज का आइना कहे जाने वाले मीडिया वर्ग पर काफी समय से अंगुलियां उठ रही थीं। जो अब धीरे-धीरे सबके सामने आ रहा है। पहले ये काम पर्दे के पीछे से होता था लेकिन अब सबकुछ खुल्लम-खुल्ला हो रहा है। देश के कई प्रमुख टीवी चैनलों के पत्रकार भी लिख रहे हैं कि “मैं भी चौकीदार हूं”। हालांकि ये पत्रकार लंबे समय से बीजेपी की कवरेज करते आ रहे हैं। लेकिन समाज के एक बड़े वर्ग का मानना है कि कम से कम पत्रकारिता में ऐसा नहीं होना चाहिए। मीडिया समाज का आइना है लेकिन अब वो अपना कर्तव्य भूल चुकी है। मीडिया के जर्नलिस्ट खुलकर राजनीति कर रहे हैं।

 

 

 

 

Lok Sabha Election 2019 : कांग्रेस की जनरल सेकेट्री Priyanka Gandhi देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी का दौरा करेंगी। वे स्टीमर के जरिए प्रयागराज से वाराणसी तक का सफर तय करेंगी। वाराणसी में प्रियंका न सिर्फ कार्यकर्ताओं को संबोधित करेंगी बल्कि वे कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ होली खेलती भी नजर आएंगी। प्रियंका 17 मार्च से 20 मार्च तक यूपी में रहेंगी। इस दौरान वह लखनऊ, इलाहाबाद, भदोही, मिर्जापुर और वाराणसी का दौरा करेंगी। आखिरी दिन उनके वाराणसी पहुंचने की उम्मींद है।



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प्रियंका के दौरे से पहले आ सकती है कांग्रेस की एक और List


यूपी में प्रियंका गांधी के कार्यक्रम को काफी सोची समझी रणनीति के तहत बनाया गया है। प्रयागराज (इलाहाबाद) का नेहरू परिवार से काफी पुराना ताल्लुक है। पड़ोसी जनपद मिर्जापुर से कांग्रेस ने युवा नेता ललितेश पति त्रिपाठी को चुनावी समर में उतारा है। प्रियंका प्रयागराज के बाद मिर्जापुर पहुंचेगीं। खबरों की मानें तो नदी तट के किनारे बसे गांव के ग्रामीणों के बीच भी प्रियंका पहुंच सकती हैं। माना जा रहा है कि मल्लाह, केवट, बुनकर जैसी जातियों के बीच प्रियंका अपना प्रभाव छोड़ने की कोशिश करेंगी। इसके बाद वह स्टीमर के जरिए सफर तय कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी पहुंचेंगी। खबर ये भी है कि प्रियंका के इस दौरे से पहले कांग्रेस के प्रत्याशियों की एक और लिस्ट भी आ सकती है।

एक नजर में प्रियंका गांधी का कार्यक्रम


17 मार्च- दिल्ली से लखनऊ पहुंचेंगी। लखनऊ में नेताओं, कार्यकर्ताओं के साथ मीटिंग कर फीडबैक लेंगी प्रियंका।

18 मार्च- प्रियंका गांधी सुबह संगम जाकर पूजा अर्चना करेंगी। यहीं से मिशन यूपी के लिए उनका दौरा Start हो जाएगा। पहले दिन प्रियंका इलाहाबाद जिले के छतनाग, दुमदुमा, सिरसा, तुड़ीहार, कौधरिया समेत कई एरिया में जाएंगी। जहां सड़क है वहां कार और जो गांव नदी के बीच हैं वहां प्रियंका गांधी स्टीमर से पहुंचेंगी।. गांवों और घाटों पर जगह जगह प्रियंका के स्वागत की तैयारी है। इस दौरान पुलवामा में शहीद हुए महेश राज यादव के परिजनों से भी मिलेंगी।

पहले दिन इलाहाबाद से भदोही के सीतामणी और रामपुर घाट होते हुए मिर्जापुर के विंध्याचल पहुंचेंगी। विंध्याचल में प्रियंका कालीन बुनकरों से मुलाकात कर वकीलों के प्रतिनिधि मंडल से मुलाकात करेंगी। प्रियंका रात्रि विश्राम यहीं पर करेंगी। यहां विश्राम से पहले प्रियंका एक मंदिर भी जाएंगी।


19 मार्च- विंध्याचल से निकल कर प्रियंका कंतित पहुंचेगी जहां मौलाना इस्माइल चिश्ती की मजार है। प्रियंका मिर्जापुर के ग्रामीण और शहरी इलाकों में जनसंपर्क करेंगी। शाम के वक्त मिर्जापुर शहर में प्रियंका गांधी का रोड शो होगा।

20 मार्च- प्रियंका गांधी सुबह वाराणसी पहुंचेंगी। रास्ते में शीतला माता मंदिर के दर्शन भी करेंगी। वाराणसी में सबसे पहले प्रियंका सुल्तानकेश्वर पहुंचेंगी। वहां से स्टीमर के जरिए रामनगर जाएंगी। यहां पर प्रियंका मल्लाहों से मिलेंगी साथ ही साथ पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी के पैतृक घर भी जाएंगी।

दोपहर बाद प्रियंका गांधी का स्टीमर अस्सी घाट के किनारे लगेगा। प्रियंका गांधी जैन धर्म के प्रतिनिधियों से मुलाकात करेंगी। इसके बाद फिर बाबा विश्वनाथ के दर्शन करेंगी। वहां से प्रियंका दशाश्वमेध घाट पहुंचेंगी और मंदिरों में पूजा अर्चना करेंगी। अंत में कार्यकर्ताओं के साथ होली मिलन का कार्यक्रम रखा गया है।

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Lok Sabha Election 2019 में (Kanpur) सीट का फैसला राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) के हेड क्वार्टर Nagpur से होगा। RSS और BJP के कद्दावर वर्तमान सांसद मुरली मनोहर जोशी को रिपीट करने के मूड में कतई नहीं हैं। हालांकि बीजेपी की तीन पुरानी “धरोहरों” में एक डॉक्टर मुरली मनोहर जोशी Kanpur से ही चुनाव लड़ने के लिए अड़े हुए हैं। बड़े सूत्रों की मानें तो शीर्ष नेतृत्व कानपुर से VIP प्रत्याशी लड़ाने का मन बना चुका है। करीब 9 लोगों के नामों पर तगड़ा मंथन चल रहा है। इसमें राजनाथ सिंह, कलराज मिश्रा के साथ-साथ यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य का भी नाम है। इन VIP के अतिरिक्त यदि कोई नाम है तो वो हैं नीतू सिंह । बैरिस्टर साहब की पौत्र वधू। RSS नगर निगम के चुनाव में भी उनको मेयर के लिए प्रत्याशी बनाना चाहता था लेकिन किन्ही वजहों से नीतू सिंह की टिकट फाइनल नहीं हो सकी थी। Kanpur में लोकसभा का प्रत्याशी कौन होगा ? इसका फैसला सबसे अंत में होगा। संभव है कि होली त्योहार के बाद नाम का ऐलान किया जाए।


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कार्यकर्ताओं और जनता में है नाराजगी


बीजेपी के पास जो सर्वे रिपोर्ट कानपुर सीट को लेकर है, वो वर्तमान सांसद के निगेटिव है। मुरली मनोहर जोशी को लेकर सिर्फ जनता में ही नाराजगी नहीं है बल्कि कार्यकर्ताओं में भी नाराज हैं। जानकारों की मानें तो मुरली मनोहर जोशी की राजनीति बीजेपी से जुड़े दो-तीन लोगों के इर्द-गिर्द ही घूमती रही है। आम कार्यकर्ता की पहुंच उन तक कभी नहीं रही। साथ ही साथ मुरली मनोहर जोशी 75 की आयु को भी पार कर चुके हैं। कई मौकों पर उनका व्यवहार भी काफी खराब रहा है।

Kanpur में रिस्क नहीं लेना चाहती है बीजेपी


RSS से जुड़े लोगों की मानें तो बीजेपी और संघ कानपुर सीट को लेकर काफी गंभीर हैं। शीर्ष बिल्कुल भी रिस्क लेने के मूड में नहीं है। हालांकि यहां से भी यूपी सरकार के कैबिनेट मंत्री सतीश महाना, प्रदेश मंत्री और पूर्व विधायक सलिल विश्नोई, जिलाध्यक्ष सुरेंद्र मैथानी के नाम प्रत्याशी पैनल में हैं। लेकिन वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य को देखते हुए इन नामों को लेकर हाईकमान गंभीर नहीं है।

Kanpur से लड़ने के मूड में हैं कलराज मिश्रा


अंदरखाने से खबर आ रही है कि कलराज मिश्रा देवरिया के बाद यदि किसी सीट से लड़ने को इच्छुक हैं तो वो है कानपुर की सीट। वजह ब्राम्हण बाहुल्य होने के साथ-साथ पूर्वांचल वोटर्स की बड़ी तादात होना। खबर ये भी है कि यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के नाम पर भी बीजेपी विचार कर सकती है। चर्चा है कि केशव प्रसाद मौर्य यदि लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे तो फूलपुर से नहीं। पिछले साल हुए फूलपुर उपचुनाव में सपा प्रत्याशी ने बीजेपी प्रत्याशी को हरा दिया था। 2014 के चुनाव में केशव प्रसाद मौर्य ने यहां पर रिकार्ड वोटों से जीत हासिल की थी।

बेटे को Lucknow से लड़ाना चाहते हैं राजनाथ सिंह


बड़े सूत्रों की बातों पर यदि विश्वास करें तो केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह अपने बेटे पंकज सिंह को लखनऊ से चुनाव लड़वाना चाहते हैं। यदि बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व इस पर राजी हो जाए तो राजनाथ सिंह खाली हो जाएंगे। ऐसी सूरत में कानपुर नगर की लोकसभा सीट भी राजनाथ सिंह के लिए विकल्प बन सकती है।

अकबरपुर सीट पर देवेंद्र सिंह भोले फिर आगे


कानपुर नगर सीट से जुड़ी अकबरपुर संसदीय सीट को लेकर भी बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व परेशान हैं। यहां वर्तमान सांसद देवेंद्र सिंह भोले के लिए बिठूर से बीजेपी विधायक अभिजीत सिंह सांगा मुसीबत बने हैं। सांगा की दावेदारी काफी तगड़ी है। पहली तो ये कि सर्वे रिपोर्ट उनकी काफी बढ़िया गई है। दूसरा ये है कि मोदी की रैली में सांगा ने भारी भीड़ जुटाकर अपनी ताकत का अहसास करवा दिया। चर्चा है कि यूपी सरकार के ताकतवर नेता इस समय भोले के लिए तगड़ी पैरवी कर रहे हैं। तर्क दिया जा रहा है कि भोले ने करीब ढाई लाख से अधिक वोटों की जीत हासिल की थी। इस लिए चुनाव में वो आसानी से अपनी सीट बचा ले जाएंगे।

 

 

 

भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर उर्फ रावण और कांग्रेस की जनरल सेकेट्री प्रियंका गांधी की मुलाकात के बाद सूबे में नया राजनीतिक "समीकरण" बनने लगा है। अपने परंपरागत वोट बैंक में कांग्रेस की सेंधमारी होते देख BSP सुप्रीमों Mayawati काफी नाराज हैं। शायद यही वजह है कि कुछ घंटे बाद ही बुधवार शाम को उन्होंने सपा सुप्रीमों Akhilesh Yadav को बुलाकर बंद कमरे में काफी देर तक बातचीत की। सूत्रों की मानें तो मायावती ने दो टूक शब्दों में अखिलेश यादव से कह दिया कि रायबरेली और अमेठी से प्रत्याशी उतारें। दोनों ही नेताओं ने यूपी में कांग्रेस के साथ बन रहे भीम आर्मी के समीकरण से निपटने के लिए काफी देर तक चर्चा की। सूत्रों की मानें तो 48 घंटों में सपा और बसपा के प्रत्याशियों की सूची जारी हो सकती है। प्रत्याशियों के चयन पर गुरुवार सुबह एक बार फिर मायावती अपने विश्वास पात्र लोगों के साथ मीटिंग कर रही हैं। माना जा रहा है कि देर शाम तक बीएसपी की सूची आ सकती है।


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अखिलेश और मायावती के बीच काफी देर तक मीटिंग


प्रियंका गांधी और चंद्रशेखर के बीच मुलाकात के बाद बुधवार शाम बीएसपी सुप्रीमों मायावती और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने करीब डेढ़ घंटे बैठक की। मायावती के आवास पर हुई बैठक में प्रियंका-चंद्रशेखर की मुलाकात का जवाब देने की रणनीति पर विचार किया गया। दोनों ही मुलाकातों को एक-दूसरे पर दबाव बनाने की राजनीति के तौर पर देखा जा रहा है।

सूत्रों के अनुसार अगर कांग्रेस चुनावों में चंद्रशेखर को साथ लेती है, तो सपा-बसपा अमेठी और रायबरेली में उम्मीदवार उतार कर कांग्रेस पर दवाब बनाएंगे। इस बात को मायावती ने साफ-साफ शब्दों में अखिलेश यादव से भी कह दिया है। उल्लेखनीय है कि कांग्रेस ने भी मुलायम सिंह यादव, डिंपल यादव और अखिलेश यादव के खिलाफ प्रत्याशी न उतारने का फैसला लिया था। सूत्रों की मानें तो यदि अखिलेश और माया ने अमेठी और रायबरेली में प्रत्याशी उतारे तो कांग्रेस भी अपने मजबूत उम्मींदवार उतार सकती है। ऐसे में कई नेता हारने की स्थित में भी आ जाएंगे।


चंद्रशेखर ने किया वाराणसी से चुनाव लड़ने का ऐलान


वहीं मुलाकात के लिए पहुंची कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी से बातचीत के दौरान ही भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर उर्फ रावण ने ऐलान कर दिया कि वो वाराणसी से नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ सकते हैं। उल्लेखनीय है कि आचार संहिता उल्लंघन करने के बाद पुलिस ने रावण को गिरफ्तार किया है। स्वास्थ्य ठीक न होने की वजह से उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

कांग्रेस से गठजोड़ के बाद बिगड़ जाएगा बीएसपी का "समीकरण"


राजनीति के जानकारों का मानना है कि यदि कांग्रेस और भीम आर्मी का गठजोड़ हो गया तो निश्चित तौर पर यूपी के पश्चिमी हिस्से में बसपा का न सिर्फ समीकरण बिगड़ेगा बल्कि वो कई सीटों पर चुनाव भी हार जाएगी। यही वजह है कि मायावती के तेवर काफी तल्ख हैं। उनको ये अहसास हो गया है कि कांग्रेस ने इस बड़े सियासी समर में काफी तगड़ी घेराबंदी कर ली है।

 

Congress ने बुधवार देर शाम 21 लोकसभा प्रत्याशियों की दूसरी लिस्ट फाइनल कर जारी कर दी है। Kanpur से एक बार फिर कांग्रेस ने अपने पुराने "योद्धा" श्रीप्रकाश जायसवाल पर विश्वास जताते हुए उनको प्रत्याशी घोषित किया है। कांग्रेस ने हाल में ही सपा से आए राकेश सचान को Fatehpur से प्रत्याशी बनाया है। राकेश पहले भी फतेहपुर से सांसद रह चुके हैं।


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https://twitter.com/redeyestimes/status/1105859814096138240

केंद्र में Ex.Minister रह चुके हैं श्रीप्रकाश जायसवाल

श्रीप्रकाश कानपुर लोकसभा से तीन बार सांसद रह चुके हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में उनको बीजेपी के मुरली मनोहर जोशी ने मोदी लहर के चलते हराया था। श्रीजायसवाल इससे पहले कानपुर के मेयर भी रह चुके हैं।



सोनिया गांधी के अतिकरीबियों में एक हैं श्रीप्रकाश

कानपुर से कांग्रेस के लोकसभा प्रत्याशी बनाए गए श्रीप्रकाश जायसवाल की गिनती सोनिया गांधी के अति विश्वास पात्र लोगों में होती है। यही वजह रही है कि केंद्रीय गृह राज्यमंत्री बनाने के बाद श्रीप्रकाश जायसवाल को बाद में कोयला मंत्रालय जैसा बड़ा विभाग दे दिया गया था। श्रीप्रकाश जायसवाल फिलहाल दिल्ली में हैं। उनके शुक्रवार को कानपुर पहुंचने की बात बताई जा रही है। श्रीप्रकाश के प्रत्याशी घोषित होते ही उनके समर्थकों में खुशी की लहर दौड़ गई है।



कांग्रेस के साथ Kanpur की जनता भी कर रही थी डिमांड

श्रीप्रकाश की छवि बेहद शांत औक गंभीर है। राजनीतिक के दौरान कभी उन पर किसी तरह के भ्रष्टाचार नहीं लगा। वे हमेशा निर्विवाद रहे। अंदरखाने की मानें तो सोनिया गांधी के आगे किसी की नहीं चली और अंत में मुहर श्रीप्रकाश जायसवाल के नाम पर लगी। सूत्रों की माने तो कई दावेदारों का डेरा दिल्ली में है। कानपुर के ये सभी दावेदार अपने-अपने नेताओं के जरिए टिकट पाने की जुगाड़ में थे।

एक दावेदार ने लिस्ट में नाम भेजवाने के लिए दी "सौगात"

कांग्रेस के बड़े सूत्रों की मानें तो कानपुर से एक बड़े दावेदार ने अपना नाम लिस्ट में भेजवाने के लिए प्रांतीय स्तर के एक बड़े नेता को सौगात भी दी थी लेकिन इसके बाद भी उसको टिकट से मायूस होना पड़ा। कांग्रेस के ये नेता पूर्वांचल से ताल्लुक रखते हैं।
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Lok Sabha Election 2019 में अधिक से अधिक लोग अपने मताधिकार का प्रयोग करें, इसके लिए देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने Twitter का सहारा लिया है। Modi ने अपने Tweet में राहुल गांधी, अखिलेश यादव, मायावती, ममता बनर्जी समेत कई नेताओं, बॉलीवुड और खेल जगत की हस्तियों को टैग किया। लेकिन खास बात ये रही है कि Delhi के CM अरविंद केजरीवाल को उन्होंने “Out” रखा।


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https://twitter.com/yadavakhilesh/status/1105706631378034688

UP के Ex.CM अखिलेश यादव ने PM पर कसा तंज


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनता से ज्यादा से ज्यादा संख्या में वोट डालने की अपील पर सपा सुप्रीमों और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने प्रतिक्रिया देते हुए ट्वीट किया। अखिलेश यादव ने लिखा कि, '' दिल ख़ुश हुआ कि प्रधानमंत्री जी भी महागठबंधन से महापरिवर्तन की अपील कर रहे हैं। मैं भी सभी भारतीय नागरिकों से अनुरोध करता हूं कि ज़्यादा से ज़्यादा संख्या में मतदान करें और नया प्रधानमंत्री चुनें।

https://twitter.com/narendramodi/status/1105687403770068992

PM ने Delhi के CM को नहीं किया टैग


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस प्रेसीडेंट राहुल गांधी, पश्चिम बंगाल की CM ममता बनर्जी, NCP प्रेसीडेंट शरद पवार, BSP सुप्रीमों मायावती, SP ,सुप्रीमों अखिलेश यादव, RJD नेता तेजस्वी यादव और DMK नेता एमके स्टालिन को टैग करते हुए ट्वीटर पर लिखा कि सभी लोग मतदाताओं से वोट देने की अपील करें। खास बात ये रही कि इन बड़े नेताओं की फेहरिस्त में Delhi के CM अरविंद केजरीवाल का नाम नहीं है।

https://twitter.com/narendramodi/status/1105687535546716160

NDA के नेताओं से भी PM ने की अपील


प्रधानमंत्री मोदी ने BJP के नेतृत्व वाले गठबंधन NDA में शामिल नीतीश कुमार, रामविलास पासवान, हरसिमरत कौर, चिराग पासवान, आदित्य ठाकरे से वोटरों को मतदान के लिए जागरुक करने की अपील की। उन्होंने दक्षिण भारत के अभिनेता मोहनलाल और नागर्जुन से भी आगे आने के लिए अपील की है। साथ ही उन्होंने RSS, नेहरू युवा केंद्र से जागरुकता फैलाने के लिए कहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोबल विजेता कैलाश सत्यार्थी, पुडुचेरी की गवर्नर किरण बेदी और सुरदर्शन पटनायक, अध्यातम गुरु श्रीश्री रविशंकर, सदगुरु और योग गुरु बाबा रामदेव को भी Twitter पर टैग कर मतदाताओं को जागरुक करने की अपील की है।

https://twitter.com/narendramodi/status/1105689849670053888

तेंदुलकर, कुंबले, लक्ष्मण, सहवाग, कोहली, रोहित से भी अपील


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सचिन तेंदुलकर, अनिल कुंबले, वीवीएस लक्ष्मण, विरेंद्र सहवाग, एमएस धोनी, विराट कोहली, रोहित शर्मा, किदांबी श्रीकांत, पीवी सिंधु, साइना नेहवाल, गीता फोगाट, बबिता फोगाट, रितु फोगाट, बजरंग पुनिया से भी अपील की।

https://twitter.com/narendramodi/status/1105698661672062977

बॉलीवुड जगत की इन हस्तियों को Twitter पर किया टैग



PM नरेंद्र मोदी ने लता मंगेशकर, अमिताभ बच्चन, ए आर रहमान, रणवीर कपूर, वरुण धवन, विक्की कौशल, शाहरुख खान, आमिर खान, सलमान खान, दीपिका पादुकोण, आलिया भट्ट और अनुष्का शर्मा समेत कला जगत की हस्तियों से भी कहा कि वे मतदाताओं से मतदान केंद्रों में आने और लोकतंत्र को मजबूत बनाने में मदद करने की अपील करें।

 
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Lok Sabha Election 2019 की रणभेरी बज चुकी है। 11 अप्रैल से लेकर 19 मई तक 7 चरणों में मतदाता अपने "वोट की चोट" के जरिए पसंदीदा नेता को संसद भेजेंगे। लेकिन इस बीच चुनाव आयोग ने कई नियम-कायदे बड़े कड़े कर दिए हैं। पिछले कुछ वर्षों में राजनीतिक दलों, नेताओं की Social Media पर सक्रियता काफी बढ़ी है। सभी अपने हर दिन के कार्यक्रम फ़ेसबुक, ट्विटर, यू-ट्यूब और दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर पोस्ट करते रहते हैं। इससे वे आसानी से लाखों लोगों से जुड़ाव रखते हैं। लेकिन सोशल मीडिया में कई बार फ़ेक न्यूज़ चला कर लोगों को गुमराह करने की भी कोशिश की जाती है। साथ ही प्रचार-प्रसार के लिए कई तरह के हथकंडे भी अपनाए जाते हैं। इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुए चुनाव आयोग ने इस बार प्रत्याशियों को साफ-साफ कह दिया है कि अपने सोशल मीडिया के सभी अकाउंट की जानकारी अब नामांकन पत्र दाखिल करते समय देना अनिवार्य होगा।


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चुनाव आयोग ने प्रत्याशियों को ये दिशा-निर्देश जारी किए


1-चुनाव आयोग का कहना है कि सभी उम्मीदवारों को नामांकन दाख़िल करते समय अपने facebook और Twitter अकाउंट की जानकारी चुनाव आयोग को देनी होगी। 

2-facebook और Twitter पर कोई भी राजनीतिक विज्ञापन देने से पहले उसे प्रमाणित कराना होगा। 

3-गूगल, फ़ेसबुक, ट्विटर और यू-ट्यूब पर बिना प्रमाणित किए हुए विज्ञापन प्रत्याशी नहीं दे सकेंगे।

4-उम्मीदवारों को अपने चुनावी ख़र्च में सोशल मीडिया पर किया गया सारा ख़र्च भी जोड़कर चुनाव आयोग को बताना होगा। 

5-कोई भी राजनीतिक दल या प्रत्याशी चुनाव प्रचार के लिए सेना के जवानों की फ़ोटो का इस्तेमाल सोशल मीडिया पर नहीं करेगा। 

6-सोशल मीडिया पर प्रचार के लिए बनाए गए नियमों का अगर उल्लंघन होता है तो इसकी शिकायतें सुनने के लिए आयोग ने अधिकारी की तैनाती की है। 

7-फ़ेसबुक, गूगल, टि्वटर पर नफ़रत फैलाने वाले भाषण, फ़ेक न्यूज़ को पोस्ट करना सख़्त मना है। इन सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म ने इस मामले में कार्रवाई करने का वादा किया है। 

8-फ़ेसबुक, गूगल और टि्वटर पर पोस्ट किए जाने वाले राजनीतिक विज्ञापनों को आईटी कंपनियों को विशेष रूप से दिखाना होगा। 

WhatsApp को लेकर दिशा-निर्देश नहीं जारी किए


चुनाव आयोग ने WhatsApp को लेकर कोई दिशा-निर्देश जारी नहीं किए हैं। विपक्षी दलों का कहना है कि Twitter, facebook पर बीजेपी काफी पिछड़ चुकी है। इस लिए उसे लेकर तमाम नियम कायदे चुनाव आयोग ने बना दिए लेकिन बीजेपी इस बार वाट्सअप के जरिए बूथ स्तर पर अपनी टीम खड़ी कर चुनाव लड़ रही है। इस लिए वाट्सअप को लेकर कोई भी निर्देश नहीं दिए गए हैं। इतना ही नहीं 6 मई के दिन वोटिंग को लेकर भी विपक्षी दल चुनाव आयोग के रवैये को गलत बता रहे हैं। विपक्षी दलों का कहना है कि 6 मई को रमजान है और उसी दिन वोटिंग की डेट निर्धारित कर एक वर्ग के वोटों को हर प्रकार से रोकने की कोशिश की जा रही है।